GPS toll collection system: भारत में GPS सिस्टम से होगी टोल वसूली, 20 किमी तक की यात्रा मुफ्त होगी, फिर दुरी के हिसाब से …
भारत में GPS आधारित टोल वसूली प्रणाली की शुरुआत; 20 किमी तक मुफ्त यात्रा और नई प्रणाली से बढ़ेगा टोल राजस्व। जानें नई प्रणाली के लाभ और कार्यप्रणाली।
GPS toll collection system: भारत में GPS सिस्टम से होगी टोल वसूली, 20 किमी तक की यात्रा मुफ्त होगी, फिर दुरी के हिसाब से …
नई प्रणाली से टोल वसूली का तरीका बदलने के साथ बढ़ेगा राजस्व; जानें कैसे होगी कार्यप्रणाली और क्या हैं इसके लाभ
Khet Tak, 11 September, भारत में आज से ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) आधारित टोल वसूली प्रणाली लागू हो गई है। सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नए नियमों के तहत, GNSS से लैस प्राइवेट गाड़ियों को नेशनल हाईवे पर 20 किमी तक की यात्रा मुफ्त मिलेगी। इसके बाद जितनी दूरी तय की जाएगी, उतना ही टोल वसूला जाएगा। यह नई प्रणाली टोल वसूली को अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने का लक्ष्य रखती है।
नई प्रणाली का कार्यप्रणाली और लाभ
GNSS आधारित टोल वसूली प्रणाली से हाईवे पर यात्रा करते समय टोल की गणना स्वचालित रूप से की जाएगी। नई प्रणाली का लाभ उन वाहनों को मिलेगा जिनमें GNSS उपकरण लगे होंगे। हालांकि, चूंकि अभी यह तकनीक बहुत अधिक प्रचलित नहीं है, इसलिए मौजूदा व्यवस्था, जिसमें कैश, FASTag, और ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन शामिल हैं, हाइब्रिड मोड पर जारी रहेगी।
- टोल वसूली: GNSS से लैस गाड़ियाँ 20 किमी तक मुफ्त यात्रा कर सकती हैं। इसके बाद टोल केवल यात्रा की गई दूरी के आधार पर वसूला जाएगा।
- डेडिकेटेड लेन: कुछ टोल गेट्स पर जीएनएसएस डेडिकेटेड लेन होगी, जिसमें केवल जीएनएसएस से लैस गाड़ियाँ ही निकल सकेंगी।
- ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU): सभी गाड़ियों में GNSS यूनिट लगाना अनिवार्य होगा। इस यूनिट की लागत लगभग ₹4,000 है।
परीक्षण और लागू करने की प्रक्रिया
GNSS से टोल वसूली के परीक्षण बेंगलुरु-मैसूर हाईवे (NH-275) और पानीपत-हिसार हाईवे (NH-709) पर किए गए थे। इन परीक्षणों से प्रणाली की सटीकता और प्रभावशीलता का आकलन किया गया। फिलहाल, देश में जीएनएसएस के लिए डेडिकेटेड लेन की कमी है, और इस तकनीक को अपनाने के लिए ऑन-बोर्ड यूनिट्स सरकारी पोर्टल के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी।
भविष्य की योजना और उम्मीदें
नई प्रणाली के पूरी तरह लागू होने के बाद, एनएचएआई को टोल राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। वर्तमान में एनएचएआई को सालाना लगभग ₹40,000 करोड़ का राजस्व मिलता है, जो नई प्रणाली के लागू होने के बाद बढ़कर ₹1.4 लाख करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।