Wheat Farming Tips: गेहूं की खेती के लिए सही समय और तरीके, 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बुवाई से होगी बंपर कमाई, जाने A To Z जानकारी
जानें गेहूं की खेती का सही समय और तरीका! 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बुवाई करें और पाएं बंपर फसल। सही उर्वरक और सिंचाई के साथ खेती करें और मुनाफा बढ़ाएं।
Wheat Farming Tips: गेहूं की खेती के लिए सही समय और तरीके, 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच बुवाई से होगी बंपर कमाई, जाने A To Z जानकारी
Khet Tak, Wheat Farming Tips: गेहूं की खेती करने के लिए सही समय और तकनीक का पालन करके किसान बंपर उत्पादन और मुनाफा कमा सकते हैं। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच की जाने वाली गेहूं की बुवाई से किसानों को सबसे अधिक फायदा होता है। सही प्रजाति का चयन और उर्वरकों का संतुलित उपयोग गेहूं की पैदावार को दोगुना कर सकता है। आइए जानते हैं कैसे करें गेहूं की खेती की तैयारी और बढ़ाएं अपनी आमदनी।
बुवाई का सही समय और बीज की मात्रा
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया के मृदा विज्ञान विभाग के प्रमुख प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार, 15 अक्टूबर से 15 नवंबर का समय गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उत्तम है। इस दौरान उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों का उपयोग करना चाहिए। अगर इस समय सीमा के बाद बुवाई करनी हो, तो 15 दिसंबर से 25 दिसंबर तक मध्यम और देर से पकने वाली किस्में बोई जा सकती हैं।
बुवाई का समय: 15 अक्टूबर से 15 नवंबर
बीज की मात्रा (1 बीघा खेत के लिए):
समय पर बुवाई: 25 किलोग्राम
देर से बुवाई: 35 किलोग्राम
उर्वरकों का सही संतुलन
खेत की उपज बढ़ाने के लिए खाद और उर्वरक का सही इस्तेमाल बहुत जरूरी है। अगर खेत में गोबर की खाद या कंपोस्ट उपलब्ध नहीं है, तो नाइट्रोजन, डीएपी, फास्फोरस, और पोटाश का संतुलित उपयोग करना चाहिए। इसके साथ ही बुवाई के समय 5 किलोग्राम सल्फर और 3 किलोग्राम जिंक सल्फेट का उपयोग भी लाभकारी होता है। इन पोषक तत्वों का सही तालमेल पौधों की ग्रोथ में मदद करता है और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।
उर्वरक मात्रा (1 बीघा के लिए)
नाइट्रोजन (यूरिया) 30-35 किलोग्राम
डीएपी और पोटाश 25-30 किलोग्राम
सल्फर 5 किलोग्राम
जिंक सल्फेट 3 किलोग्राम
गेहूं की बुवाई की विधि और सिंचाई
गेहूं की बुवाई के लिए सीड ड्रिल विधि सबसे अधिक फायदेमंद मानी जाती है। इस विधि में बीज और उर्वरक को एक साथ खेत में डालने की सुविधा मिलती है, जिससे फसल की जड़ें मजबूत होती हैं और पौधों को तुरंत पोषण मिलना शुरू हो जाता है।
पहली सिंचाई: बुवाई के 20 से 25 दिन के भीतर पहली सिंचाई जरूरी होती है। इसके साथ ही नाइट्रोजन (यूरिया) का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि फसल को पोषक तत्व मिलते रहें। सिंचाई और उर्वरक का सही संतुलन उत्पादन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
उन्नत किस्में और बंपर कमाई
खेती के लिए सही किस्म का चयन महत्वपूर्ण है। प्रो. सिंह के अनुसार, नई किस्मों की मदद से किसान बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता पा सकते हैं। सही देखभाल और वैज्ञानिक तरीकों का पालन करने से एक बीघा भूमि से लाखों का मुनाफा कमाया जा सकता है।
उन्नत किस्में:
एचडी 2967
एचडी 3086
डब्ल्यूएच 1105
इन उन्नत किस्मों की खेती से किसान बेहतर उत्पादन के साथ-साथ अधिक मुनाफा भी कमा सकते हैं। गेहूं की फसल के लिए सही बुवाई समय, उर्वरक प्रबंधन और सिंचाई की योजनाओं का पालन कर किसान अपनी फसल से अधिकतम लाभ उठा सकते हैं।
खेती के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
खेत की जुताई से पहले नमी बनाए रखें।
बुवाई के समय उर्वरकों का सही संतुलन बनाए रखें।
20-25 दिन के भीतर पहली सिंचाई जरूर करें।
फसल में आवश्यकतानुसार यूरिया का प्रयोग करें।