धान की फसल में पता जोड़ रोग का अटेक, समय से पहले ही पत्ती लपेटक, झुलसा रोग और दीमक ने दी दस्तक, किसानो की बढ़ी चिंता
धान की फसल में पता जोड़ रोग का अटेक, समय से पहले ही पत्ती लपेटक, झुलसा रोग और दीमक ने दी दस्तक, किसानो की बढ़ी चिंता
खेत तक : सिरसा, 10 अगस्त, किसान भाइयो फ़िलहाल धान रोपाई का सीजन जोरों सोरो पर है ऐसे में किसान धान की रोपाई से लेकर बिज, खाद, पानी व स्प्रे के छिड़काव में जूट हुए है, किसानो ने धान की खेती शुरू करने से पहले ये बड़े बड़े कयास लगाये थे की इस बार अच्छी बारिश होगी और मोसम भी धान के अनुकूल रहेगा । इसलिए धान की पैदावार भी अधिक होगी लेकिन किसान को क्या पता की इस बार धान की पैदावार लेने के लिए उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा ।
जब किसान ने धान रोपाई का कार्य शुरू किया था तो उस समय गर्मी का प्रभाव अधिक था लेकिन फिर भी किसानो ने धान रोपाई का कार्य पूर्ण कर लिया था । दिन में गर्मी और रात के समय ठंडा मोसम और समय जल्दी ही फिर से गर्मी होने से धान की फसलो में इस बार समय से पहले ही पत्ती लपेटक, झुलसा रोग और दीमक का अटैक हो गया है। जिससे किसानो में चिंता का विषय बना हुआ है ।
इसकी जानकारी देते हुए सिरसा जिला के गांव गुडिया खेड़ा, मोडिया खेड़ा, माधोसिंघाना सहत अन्य गाँव के किसानो ने बताया की इस बार धान की फसल में शुरूआती दौर में ही पत्ती लपेटक, झुलसा रोग और दीमक का अटैक हो गया है। किसानो ने बताया की पती लपेटक रोग 1 से 2 माह के बाद ही देखने को मिलता था लेकिन इस बार तो 10 से 15 दिनों में ही इसका प्रभाव देखने को मिल रहा है।
किसान भाइयो समय से पहले इन रोगों का अटैक होना किसानो को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है लेकिन किसानो को इस बात से घबराने की आवश्यकता नहीं है इस रोग से निपटने के लिए किसानो को तत्परता दिखाने की आवश्यकता है। इसके लिए किसान भाई अपने नजदीकी कृषि अधिकारीयों से सलाह लें और उनके द्वारा बताये हुए उपाए का इस्तेमाल करें ।
धान पर पत्ती लपेटक रोग से बचाव कैसे करें ?
किसान भाइयो जब समस्या के बारे कृषि अधिकारीयों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया की वायरस की तरह फैल रहे इस रोग से जिले में हर रोज 30-40 किसान कृषि विज्ञान केंद्र में अपनी परेशानी बयां कर रहे हैं। उन्हें सलाह भी दी जा रही है। फौरी उपचार के लिए एक है । धान की फसल में लिटर डाई मेथड दवा और 800 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें। या फिर मोनोग्लोफास या क्यूनलफास दवा उक्त मात्रा में छिड़काव करने पर फसल को रोग से बचाया जा सकता है .
झुलसा रोग से कैसे बचाव करें ?
झुलसा रोग खासतौर पर तब फैलता है जब मौसम में अस्थिरता होती है, जैसे कि बरसात का न होना और तापमान का उतार-चढ़ाव। इस रोग के फैलते ही फसलें धीरे-धीरे सूखने लगती हैं और देखते ही देखते पौधे पुआल में तब्दील हो जाते हैं। पौधे धीरे धीरे सूखने लगते है और नष्ट हो जाते है । खेत में यदि दो-चार पौधे भी सूखे दिखाई देने लगें, तो यह संकेत है कि झुलसा रोग ने अपनी जड़ें जमा ली हैं।
इस रोग से बचाव के लिए सबसे प्रभावी दवा टिल्ट मानी जाती है। अगर यह दवा उपलब्ध नहीं है, तो कापर ऑक्सी क्लोराइड 500 ग्राम और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 15 ग्राम को 800 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर खेत में छिड़काव करें।
दीमक रोग से कैसे बचाव करें ?
दीमक रोग एक और गंभीर समस्या है खासकर धान की फसल के लिए। धान के खेत में अगर पानी हो या न हो, दीमक का खतरा हमेशा बना रहता है। कई बार किसान इसे उकठा रोग समझ बैठते हैं, जिससे समस्या और भी गंभीर हो जाती है। दीमक के कारण पौधे जड़ से सूखने लगते हैं, और अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो फसल का बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है।
दीमक से बचाव के लिए क्लोरोपाइरिफास्ट दवा का 2.5 से 3 लीटर को 800 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इसके अलावा डाइक्लोरोवास दवा को बालू या राख में मिलाकर पानी लगे खेत में डालें। अगर ये दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो “जला मोबिल” का उपयोग भी कारगर साबित होता है।