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CR Paddy 808 : कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए आदर्श धान की नई किस्म ‘सीआर धान 808’ का चयन करें

90 दिनों में तैयार होने वाला धान, बंपर उपज की गारंटी

CR Paddy 808 : कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए आदर्श धान की नई किस्म ‘सीआर धान 808’ का चयन करें

CR Paddy 808 : खेत तक, 9 अगस्त, नई दिल्ली, भारत के विभिन्न राज्यों में धान की खेती एक प्रमुख खेती है, लेकिन सूखा प्रभावित क्षेत्रों और कम पानी वाले इलाकों में धान की खेती करना मुस्किल हो जाता है। यहां परंपरागत धान की फसलों को पानी की अधिक आवश्यकता होती है, जिससे इन क्षेत्रों के किसानों के लिए धान की खेती कठिन हो जाती है। लेकिन अब कृषि वैज्ञानिकों ने एक ऐसी धान की किस्म विकसित की है, जो कम पानी और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में भी बेहतर उपज देती है। इस किस्म से किसानों की परेशानी कम होगी और बल्कि उन्हें अच्छी पैदावार भी मिलेगी।

सीआर धान 808 (CR Paddy 808) एक उन्नत किस्म है जिसे विशेष रूप से उन किसानों के लिए तैयार किया गया है जिनके पास सिंचाई के सीमित संसाधन हैं। यह किस्म सूखा और कम वर्षा आधारित क्षेत्रों में अच्छी तरह से पनपती है। इसके अलावा, यह मात्र 90-95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है, जिससे किसान समय पर अपनी फसल काट सकते हैं और अन्य कृषि कार्यों में समय दे सकते हैं।

किस्म समय (दिन) उपज (क्विंटल/हेक्टेयर) रोग प्रतिरोधकता
सीआर धान 808 90-95 17-23 ब्लास्ट, ब्राउन स्पॉट, स्टेम बोरर आदि

धान की रोपाई कैसे करें: प्रभावी तरीकों का पालन करें
धान की बेहतर पैदावार के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए:

हरी खाद का प्रयोग: धान की रोपाई से पहले 10-12 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी गोबर या हरी खाद का प्रयोग करें।
रोपाई का तरीका: पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20-30×15 सेंमी होनी चाहिए और धान की रोपाई 3 सेमी की गहराई पर करें।
खरपतवार प्रबंधन: समय पर खरपतवार साफ करना फसल के विकास के लिए आवश्यक है।

धान की खेती में खाद का सही उपयोग
धान की फसल में उचित खाद का प्रयोग करना उसकी पैदावार और गुणवत्ता में वृद्धि करता है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में निम्नलिखित मात्रा में खाद का प्रयोग करें:

तत्व प्रति हेक्टेयर (किलो)
नाइट्रोजन 100-120
फास्फोरस 60
पोटाश 60
जिंक सल्फेट 25
उपज बढ़ाने के टिप्स:
धान की खेती में अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए मिट्टी परीक्षण के आधार पर खाद का चयन करें।
बासमती किस्मों के लिए खाद की मात्रा में थोड़ा बदलाव करें।

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