Satta King : सट्टा किंग की लत से बन सकते हैं मानसिक रोगी, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
सट्टा किंग की लत मानसिक बीमारियों का कारण बन सकती है। शोध और विशेषज्ञों के अनुसार, सट्टे की लत से बचने और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए काउंसलिंग और थेरेपी जरूरी है।
Satta King: सट्टा किंग की लत से बन सकते हैं मानसिक रोगी, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
नई दिल्ली: दुनिया भर में तेजी से बढ़ता सट्टा बाजार, लोगों को अवसाद और मानसिक बीमारियों की ओर धकेल रहा है। 2022 में ‘द लैंसेट साइकियाट्री’ में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि सट्टे की लत गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है। इस लेख में जानिए, कैसे सट्टे की लत आपके जीवन को प्रभावित कर सकती है और इससे छुटकारा पाने के उपाय क्या हैं।
सट्टा की लत कैसे नुकसान पहुंचाती है?
दिल्ली की रहने वाली सपना (काल्पनिक नाम) ने शौक के तौर पर सट्टा खेलना शुरू किया, लेकिन लगातार हार के चलते मानसिक तनाव का शिकार हो गईं। केवल तीन महीने में सपना के व्यवहार में इतना बदलाव आया कि उसका परिवार और सहकर्मी भी चिंतित हो गए। सपना ने आखिरकार सट्टा छोड़ने का फैसला किया, लेकिन कई लोग अभी भी इस लत में फंसे हुए हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, सट्टा जीतने और हारने का एक चक्र होता है। सट्टा लगाने वाले लोग उस दिन खुश रहते हैं जब वे जीतते हैं, लेकिन हारने पर मानसिक अवसाद में चले जाते हैं। यह चक्र जारी रहता है और व्यक्ति वित्तीय कर्जों में डूबने लगता है, जिससे उसकी मानसिक स्थिति और भी खराब हो जाती है।
सट्टा खेलने से मस्तिष्क पर प्रभाव
शोध के मुताबिक, सट्टा खेलने वाले लोग मानसिक रूप से गहरे असर में चले जाते हैं। कई शोधों में यह पाया गया है कि सट्टा खेलने वाले खिलाड़ियों के मस्तिष्क में ‘वेंट्रोमेडियल प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स’ और ‘ऑर्बिटल फ्रंटल कॉर्टेक्स’ जैसे क्षेत्रों पर गहरा असर पड़ता है। इन क्षेत्रों का काम निर्णय लेने और भावनाओं को नियंत्रित करने में मदद करना होता है।
जुआरी, इन क्षेत्रों में असामान्य गतिविधियों का अनुभव करते हैं, जो न केवल सट्टा लगाने के दौरान बल्कि जीवन के अन्य फैसलों पर भी बुरा असर डालता है। धीरे-धीरे यह स्थिति व्यक्ति को आक्रामक बना देती है, जिसका असर उसके परिवार और दोस्तों पर भी पड़ता है।
सट्टे की लत से कैसे बचें?
विशेषज्ञों की मानें तो सट्टे की लत को मानसिक स्वास्थ्य की समस्या की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे में जरूरी है कि इस लत के शिकार व्यक्ति को तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। सट्टे की लत से निजात पाने के लिए काउंसलिंग बेहद आवश्यक है।
इसके साथ ही, ‘वॉक थेरेपी’ और ‘म्यूजिक थेरेपी’ भी लाभदायक हो सकती है। कुछ मामलों में, दवाइयों का उपयोग कर ‘डोपामाइन’ के स्तर को नियंत्रित किया जाता है, जो तंत्रिका कोशिकाओं को संचार करने में मदद करता है।
उपचार :
मनोचिकित्सक काउंसलिंग: मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के साथ काउंसलिंग।
थेरेपी: वॉक और म्यूजिक थेरेपी जैसे विकल्प।
परिवार का सहयोग: परिवार का भावनात्मक समर्थन बेहद महत्वपूर्ण है।
डोपामाइन नियंत्रण: डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं से डोपामाइन को नियंत्रित किया जा सकता है।
यदि आप या आपके परिवार में कोई सट्टे की लत से जूझ रहा है, तो बिना देर किए उसे उचित उपचार के लिए लेकर जाएं।