Haryana Chunav: मनोहर लाल खट्टर ने खटखटाया कुमारी सैलजा का दरवाजा, कांग्रेस में हड़कंप, दलित वोट बैंक पर क्या पड़ेगा असर?
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की दलित नेता कुमारी शैलजा की नाराजगी भाजपा के लिए एक सुनहरा मौका बन सकती है। जानिए भाजपा के ऑफर से कैसे बदलेंगे चुनावी समीकरण।
Haryana Chunav: मनोहर लाल खट्टर ने खटखटाया कुमारी सैलजा का दरवाजा, कांग्रेस में हड़कंप, दलित वोट बैंक पर क्या पड़ेगा असर?
Khet tak, Chandigarh : हरियाणा विधानसभा चुनाव की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है, लेकिन बीच चुनाव कांग्रेस के भीतर बढ़ती खेमेबंदी ने उसे मुश्किल में डाल दिया है। खासतौर पर राज्य की बड़ी नेता और दलित चेहरा कुमारी शैलजा की नाराजगी पार्टी के लिए चुनौती बन रही है। भाजपा ने इस मौके का फायदा उठाते हुए शैलजा को पार्टी में शामिल होने का ऑफर दिया है।
कांग्रेस की मुश्किलें
कुमारी शैलजा, जो कांग्रेस के एक प्रमुख दलित चेहरा मानी जाती हैं, बीते कुछ दिनों से चुनाव प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं। उनकी नाराजगी का मुख्य कारण मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर होना और उनके करीबी अजय चौधरी को नारनौंद सीट से टिकट न मिलना बताया जा रहा है। कांग्रेस ने इस सीट से जस्सी पेटवाड़ को टिकट दिया है, जिन पर शैलजा ने जातिगत टिप्पणी का आरोप लगाया था। इसके बाद से शैलजा राज्य नेतृत्व से नाराज चल रही हैं।
कांग्रेस में बढ़ती खेमेबंदी की वजह से शैलजा और उनके समर्थक असहज महसूस कर रहे हैं। भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाले गुट पर आरोप है कि वह कांग्रेस आलाकमान द्वारा चुने गए उम्मीदवारों का साथ नहीं दे रहा और निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन दे रहा है।
भाजपा का बड़ा दांव
कुमारी शैलजा की नाराजगी को देखते हुए हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है। अगर शैलजा भाजपा का ऑफर स्वीकार करती हैं, तो यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। राज्य में लगभग 21% दलित मतदाता हैं, और शैलजा इनमें एक बड़ी नेता मानी जाती हैं।
विधानसभा की 90 में से 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। यदि शैलजा भाजपा में जाती हैं, तो कांग्रेस को दलित वोट बैंक में भारी नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, मायावती की बसपा पहले ही इनेलो के साथ गठबंधन कर चुकी है, जबकि भीम आर्मी के चंद्रशेखर की पार्टी ने जेजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ऐसे में शैलजा के भाजपा में जाने से दलित वोटों पर भाजपा की पकड़ मजबूत हो सकती है।
दलित वोटरों पर प्रभाव
हरियाणा के चुनावों में दलित वोटरों की भूमिका अहम मानी जाती है। कांग्रेस में अशोक तंवर के बाद कुमारी शैलजा ही ऐसी नेता हैं जो दलित वोटरों को एकजुट कर सकती हैं। तंवर भी 2019 में कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। अगर शैलजा भी भाजपा में जाती हैं, तो कांग्रेस के लिए दलित वोट बैंक को संभालना मुश्किल हो जाएगा।
भाजपा के इस कदम से कांग्रेस के भीतर असंतोष और बढ़ सकता है। कांग्रेस के लिए शैलजा की नाराजगी एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।
क्या होगा कांग्रेस का अगला कदम?
अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस कुमारी शैलजा की नाराजगी को कैसे संभालती है। यदि शैलजा भाजपा में जाती हैं, तो कांग्रेस को हरियाणा में अपने चुनावी समीकरणों को नए सिरे से बनाना होगा। भाजपा के लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है, क्योंकि दलित वोट बैंक में उनकी पकड़ मजबूत होगी।