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रिलायंस जियो का नया ऑफर, भारतीय बाजार में मचाएगा हलचल, टेक जायंट्स को देना होगा जवाब

रिलायंस जियो का नया ऑफर, भारतीय बाजार में मचाएगा हलचल, टेक जायंट्स को देना होगा जवाब

खेत तक, नई दिल्ली, रिलायंस जियो ने एक बार फिर से भारतीय टेक्नोलॉजी बाजार में हलचल मचा दी है। मुकेश अंबानी की अगुवाई में जियो ने हाल ही में 100GB फ्री क्लाउड स्टोरेज का नया ऑफर पेश किया है, जो सीधे तौर पर Apple, Google और Microsoft जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। इस कदम से न केवल इन कंपनियों के लिए भारत में अपनी पकड़ बनाए रखना मुश्किल होगा, बल्कि यूजर्स को भी एक किफायती और उच्च-गुणवत्ता वाली सेवा मिलेगी।

रिलायंस जियो का यह नया 100GB फ्री क्लाउड स्टोरेज का ऑफर गूगल वन, ऐपल iCloud और माइक्रोसॉफ्ट वनड्राइव जैसी सेवाओं को सीधी टक्कर दे रहा है। अभी तक गूगल वन के लिए 100GB क्लाउड स्टोरेज का मासिक शुल्क ₹130 और ऐपल iCloud में 50GB के लिए ₹75 चुकाने पड़ते हैं। ऐसे में जियो का यह ऑफर न केवल भारतीय यूजर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा, बल्कि इन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भी एक बड़ी चुनौती बनेगा।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, जियो का यह नया कदम भारतीय टेक्नोलॉजी बाजार में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है। इससे न केवल गूगल, ऐपल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों को अपनी सेवाओं के मूल्य निर्धारण पर पुनर्विचार करना पड़ेगा, बल्कि यह कंपनियों के लिए एक नई चुनौती के रूप में उभरेगा।

इसके अलावा Ola और MapMyIndia जैसी स्थानीय कंपनियों को भी इससे फायदा मिलेगा, क्योंकि वे Amazon Web Service और Microsoft Azure जैसी वैश्विक क्लाउड सेवाओं से प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

रिलायंस जियो का यह नया क्लाउड स्टोरेज ऑफर भारतीय बाजार में जियो की बढ़ती पकड़ को और भी मजबूत करेगा। अब तक किसी भी भारतीय कंपनी ने इस तरह की सेवा नहीं दी थी। जियो का यह कदम न केवल भारतीय यूजर्स को फायदा पहुंचाएगा, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय टेक कंपनियों को भी अपनी रणनीतियों में बदलाव करने पर मजबूर कर देगा।

जियो के इस खास ऑफर की शुरुआत दिवाली से की जाएगी। यूजर्स इस सेवा का उपयोग करके अपने फोटोज़, वीडियो, डॉक्यूमेंट्स और अन्य डिजिटल कंटेंट को स्टोर कर सकेंगे। इस ऑफर के आने के बाद उम्मीद की जा रही है कि जियो की पेड सर्विस भी किफायती दाम पर उपलब्ध होगी, जिससे गूगल और ऐपल जैसी कंपनियों को अपनी सेवाओं के मूल्य निर्धारण पर फिर से विचार करना पड़ेगा।

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