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आज के नरमा और कपास के भाव: 2024 सीजन में कपास उत्पादन में गिरावट

विशेषज्ञों का कहना है कि कपास की पैदावार में गिरावट का एक प्रमुख कारण पुरानी बीटी बीज तकनीक है, जिसे अब नए बीजों की आवश्यकता है। साथ ही, जलवायु परिवर्तन और पिंक बॉल वर्म जैसे कीट भी फसल उत्पादन को प्रभावित कर रहे हैं।

भारत कपास उत्पादन में विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जो लगभग 33% वैश्विक कपास उत्पादन का हिस्सा बनाता है। हालांकि, इस साल 2024-25 सीजन में कपास उत्पादन में 7.4% की गिरावट की संभावना जताई जा रही है। इसका प्रमुख कारण बुवाई क्षेत्र में कमी और अत्यधिक बारिश से फसल को हुए नुकसान है। कपास संघ भारत (CAI) के अनुसार, उत्पादन 302 लाख बेल्स तक गिर सकता है, जबकि पिछले वर्ष यह 326 लाख बेल्स था।

कपास उत्पादन में गिरावट का कारण

पिछले वर्ष के नरमा और कपास के भाव कमजोर रहने के कारण किसानों ने अन्य फसलों को प्राथमिकता दी, जिससे कपास के बुवाई क्षेत्र में गिरावट आई। 2023 में कपास का बुवाई क्षेत्र 126.9 लाख हेक्टेयर था, जो घटकर 2024 में 112.9 लाख हेक्टेयर रह गया। विशेष रूप से गुजरात के किसानों ने कपास की जगह मूंगफली की खेती को प्राथमिकता दी, जो उनके लिए अधिक लाभकारी साबित हुई।

वैश्विक बाजार पर असर

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है, और इस उत्पादन में गिरावट का असर वैश्विक बाजार पर भी पड़ेगा। इससे वैश्विक कपास की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि भारत को घरेलू मांग को पूरा करने के लिए आयात बढ़ाना पड़ सकता है।

मंडीनरमा भाव (₹)कपास भाव (₹)
आदमपुर मंडी8301
सिरसा मंडी7800/82328200/8400
बरवाला मंडी8226
रावतसर मंडी8350
हनुमानगढ़ मंडी8150
ऐलनाबाद मंडी7850/8151
फतेहाबाद मंडी82508300
संगरिया मंडी7881/8157
भट्टू मंडी80458365
अबोहर मंडी8000/82358500/8640

आयात और निर्यात पर प्रभाव

2024-25 के विपणन वर्ष में भारत का कपास आयात बढ़कर 25 लाख बेल्स हो सकता है, जबकि निर्यात 28.5 लाख बेल्स से घटकर 18 लाख बेल्स तक गिर सकता है। इससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर दबाव बढ़ने की संभावना है।

घरेलू मांग में स्थिरता

हालांकि उत्पादन में गिरावट हो रही है, घरेलू मांग स्थिर रहने की संभावना है। कपास की घरेलू मांग 313 लाख बेल्स पर स्थिर रह सकती है, जिससे भारत को आयात पर निर्भर होना पड़ सकता है।

भविष्य में कपास के भाव पर प्रभाव

नरमा और कपास के भाव में भविष्य में तेजी आने की संभावना है क्योंकि उत्पादन कम है। मौजूदा समय में नरमा के भाव 8000-8500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहे हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 1000-1500 रुपये ज्यादा हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने विवेक से धीरे-धीरे अपनी फसल बेचें।

 

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