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नरमा-कपास में उखेड़ा रोग कब और क्यों आता है ? कैसे ठीक करें ? जाने कृषि विशेषज्ञों की राय

नरमा-कपास में उखेड़ा रोग कब और क्यों आता है ? कैसे ठीक करें ? जाने कृषि विशेषज्ञों की राय

खेत तक, नई दिल्ली, 3 सितम्बर, किसान भाइयों नरमा-कपास में व  कॉटन में उखेड़ा रोग क्यों आता है ? इसके पीछे क्या कारण होता है ? इसका कोई इलाज है या फिर नहीं ? इसके लिए कोई स्प्रे करें या नहीं इसके ऊपर आज के लेख में आपको पूरी सटीक जानकारी देने वाले है ।

किसान भाइयो उखेड़ा रोग के लक्षणों की अगर हम बात करें, तो इसमें पौधे की पत्तियां पीली होकर नीचे गिर जाति हैं, यानी की यह नीचे से ऊपर की तरफ बढ़ता है। पहले नीचे वाली पत्तियां पीली होती है वो नीचे गिर जाति फिर ऊपर वाली पत्तियां पीली होती चली जाति है और नीचे गिरती चली जाति है ।
अब बात करें की उखेड़ा रोग किस स्टेज के ऊपर आता है ? किसान भाइयो जब नरमा की फसल में जब टिंडे 30 से 40% बनकर तैयार हो जाते है तो उस समय उखेड़ा रोग फसल में दस्तक देता है । और नरमा का पौधा बिल्कुल जल जाता है और नरमा की फसल नीचे बैठ जाति है ।

उखेड़ा रोग क्यों आता है ?

किसान भाइयों उखेड़ा रोग आखिर आता क्यों है? इसके पीछे क्या कारण होता है ये आपके लिए जानना बेहद जरूरी है। किसान भाइयों सबसे पहला कारण है मिट्टी का कमजोर होना, यानी की मिट्टी के अंदर अगर कार्बन कमी हो गई है। उसके अंदर पोषक तत्वों की कमी हो गई है। मिट्टी की उर्वर शक्ति अगर कम हो गई है। तो जमीन में आप नरमा की फसल उगाओगे तो उसमें उखेड़ा रोग जरुर आएगा।

क्योंकि नरमा की एक ऐसी फसल होती है जिससे ज्यादा से ज्यादा खुराक की आवश्यकता होती है। किसान भाइयों मिट्टी का कमजोर होना इसमें सबसे बड़ा फैक्टर है। अगर बिजाई के समय पर खेत तैयार करते है, उसमें आप गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में डालोगे तो आपकी नरमा-कपास में उखेड़ा नहीं ।

अगर आपके खेत में उखेड़ा रोग आता है तो आप फसल चक्र अपनाये, बार बार नरमा की खेती न करें, उसे बदलकर 1 साल में गवार की खेती कीजिए, मूंग की खेती कीजिए, कोई और दूसरी फसल उगाये जिससे मिट्टी को ज्यादा कमजोर ना करती हो, उसके बाद में आप उसमें गोबर की खाद डालकर नरमा की खेती कीजिये उखेड़ा रोग नहीं आएगा।

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