Top 5 varieties of gram: चना की ये टॉप 5 वैरायटी हैं बेहद खास, कम पानी में देंगी बंपर पैदावार
चना की टॉप 5 वैरायटी JG 24, JG 36, पूसा मानव कम पानी में अधिक उत्पादन देती हैं। जानें उपज बढ़ाने के टिप्स और खेती के खास तरीके।
Top 5 varieties of gram: चना की ये टॉप 5 वैरायटी हैं बेहद खास, कम पानी में देंगी बंपर पैदावार
Top 5 varieties of gram: चना जिसे दलहनी फसलों का राजा कहा जाता है, किसानों के लिए लाभकारी फसल साबित हो रही है। खासतौर पर बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में, जहां जल संकट रहता है, चने की खेती कम पानी में अधिक उत्पादन देकर किसानों को अच्छा मुनाफा देती है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, चने की कुछ विशिष्ट वैरायटीज़ ऐसी हैं जो कम संसाधनों में भी बेहतरीन उत्पादन करती हैं।
चना की टॉप 5 वैरायटी
1. JG 24
यह वैरायटी बुंदेलखंड की मिट्टी के लिए उपयुक्त है। इसमें कम पानी में भी 7-8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन क्षमता है।
2. JG 36
JG 36 चने की एक और प्रमुख वैरायटी है, जो रोग प्रतिरोधक है और कम पानी में भी उन्नत फसल देती है।
3. पूसा मानव
पूसा मानव वैरायटी की पहचान इसकी उच्च उत्पादकता और गुणवत्ता के कारण पूरे देश में है। यह कम सिंचाई में भी बंपर पैदावार देती है।
4. JG 16
यह वैरायटी रेतीली और दोमट मिट्टी के लिए आदर्श है। फसल की देखभाल में कम मेहनत लगती है, और यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूल है।
5. JG 62
JG 62 चने की पुरानी और विश्वसनीय किस्म है, जो कम पानी और सीमित पोषण में भी अच्छी पैदावार देती है।
उत्पादन बढ़ाने के लिए विशेष सुझाव
- बीज उपचार
चना की खेती से पहले बीजों का उपचार ट्राईकोडरमा जैसे फफूंदनाशक से करें। प्रति किलो बीज पर 15 ग्राम ट्राईकोडरमा का उपयोग करें। - मिट्टी का चयन
चना की खेती के लिए दोमट या रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है।
- पीएच स्तर: 6.0 से 7.5।
- उर्वरक उपयोग: प्रति हेक्टेयर 20-22 किलोग्राम नाइट्रोजन और 40-45 किलोग्राम फॉस्फोरस का उपयोग करें।
- सिंचाई और फसल देखभाल
चना को कम पानी की जरूरत होती है। बुवाई के समय और फूल आने के समय सिंचाई करना फायदेमंद होता है।
चने का महत्व और उपयोग
चना एक बहुउपयोगी फसल है। इसके उपयोग निम्नलिखित हैं:
- खाद्य उत्पाद: बेसन, सत्तू, नमकीन, मिठाई और लड्डू।
- दाल: प्रोटीन का प्रमुख स्रोत।
- भाजी: ताजी अवस्था में उपयोग या प्रोसेसिंग के बाद पशु चारे के रूप में।
विशेषज्ञ की राय
सागर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. के.एस. यादव के अनुसार, बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों के लिए JG 24, JG 36, पूसा मानव जैसी वैरायटी सबसे उपयुक्त हैं। वहीं, ग्वालियर विश्वविद्यालय द्वारा विकसित RBJ 201, 202, और 203 वैरायटी कम पानी में बेहतर उत्पादन देती हैं।