सितंबर में धान की फसल के लिए विशेष सावधानी की जरूरत, भूरा फुदका से बचाव के लिए विशेषज्ञों के सुझाव।
धान की फसल में भूरा फुदका का प्रकोप बढ़ रहा है। जानें सही सिंचाई और कीटनाशक छिड़काव के उपाय, जिससे फसल सुरक्षित रहे और उत्पादन बढ़े।
सितंबर में धान की फसल के लिए विशेष सावधानी की जरूरत, भूरा फुदका से बचाव के लिए विशेषज्ञों के सुझाव।
शाहजहांपुर, 21 सितंबर: धान की फसल के लिए सितंबर का महीना अत्यधिक संवेदनशील होता है। इस समय किसानों द्वारा की गई थोड़ी सी लापरवाही से फसल उत्पादन में भारी नुकसान हो सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र, नियामतपुर के कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, इस समय धान के पौधों में बालियां निकलने और दाने बनने की प्रक्रिया चल रही होती है। इस महत्वपूर्ण समय में किसानों को सिंचाई और कीट प्रबंधन पर खास ध्यान देना चाहिए, ताकि उनकी फसल स्वस्थ रहे और अच्छी पैदावार दे सके।
सिंचाई के सही तरीके
धान के खेतों में सिंचाई का सही तरीका अपनाना आवश्यक है। विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता के अनुसार, इस समय खेत में हल्की सिंचाई की जानी चाहिए ताकि खेत में नमी बनी रहे और फसल को नुकसान न पहुंचे। सिंचाई का सही समय शाम को है, और सुबह फालतू पानी को खेत से निकाल देना चाहिए। अधिक पानी भरने से मिट्टी नरम हो जाती है और तेज हवा चलने पर पौधे गिर सकते हैं, जिससे दाने खराब हो सकते हैं।
भूरा फुदका से बचाव के उपाय
सितंबर में अधिक यूरिया के उपयोग और बारिश की कमी के चलते भूरा फुदका (Brown Planthopper) कीट का प्रकोप बढ़ सकता है। यह कीट पौधों का रस चूसकर उन्हें सुखा देता है, जिससे फसल को गंभीर नुकसान हो सकता है। डॉ. गुप्ता ने बताया कि किसानों को फसल में भूरा फुदका की नियमित निगरानी करनी चाहिए। यदि यह कीट दिखाई दे, तो ‘अप्लाइड’ या ‘ब्रूनो’ जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए।
एक एकड़ खेत के लिए 300 से 400 लीटर पानी के साथ इन दवाओं का छिड़काव करने से कीट का प्रभाव कम होगा और फसल सुरक्षित रहेगी। इन दवाओं के उपयोग से फसल को पोषक तत्व भी सही से मिलते हैं, जिससे उत्पादन में वृद्धि हो सकती है।