मूली की खेती का नया तरीका: बारिश के मौसम में मूली की खेती से कमाएं दोगुना मुनाफा!
New method of radish cultivation: Earn double profit from radish cultivation during rainy season!
मूली की खेती का नया तरीका: बारिश के मौसम में मूली की खेती से कमाएं दोगुना मुनाफा!
खेत तक, चंडीगढ़, 10 सितम्बर, खेती के क्षेत्र में नई तकनीकों का प्रयोग करना हर किसान के लिए लाभकारी हो सकता है। इस लेख में हम आपको मूली की खेती का नया तरीका बताएंगे, जिससे आपको एकदम सीधी और टेढ़ापन रहित मूली प्राप्त होगी। आइए जानते हैं मूली की खेती के इस नए तरीके के बारे में।
किसान भाइयो मूली की बुवाई का सही समय और विधि का चयन इसकी गुणवत्तापूर्ण पैदावार में अहम भूमिका निभाता है। इस तरीके से बुवाई करने पर एक महीने के भीतर मूली तैयार हो जाती है। इस तरह आप कम समय में मूली की फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं।
मूली की खेती का सही समय: बुवाई का सही समय का अंतिम सप्ताह है, जिससे आप जून के पहले हफ्ते में फसल तैयार कर सकते हैं।
मूली की सीधी और गुणवत्तापूर्ण खेती कैसे करें?
कतार बनाकर बुवाई करें: मूली की सीधी और अच्छी गुणवत्ता के लिए कतार बनाकर बुवाई करना सबसे अच्छा तरीका है। यह विधि जड़ को सीधा और बिना टेढ़ापन के विकसित होने में मदद करती है।
बीज छीटकर बुवाई: यदि आप बड़े पैमाने पर मूली की खेती करना चाहते हैं, तो बीज छीटकर भी बुवाई कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि इसमें मूली का टेढ़ापन थोड़ा बढ़ सकता है।
जल निकासी का ध्यान रखें: खेत में उचित जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए ताकि मूली को सही नमी मिल सके और जड़ें सड़ने का खतरा न हो।
समय पर फसल की देखभाल: मूली की फसल में 10 दिन बाद बिक्री शुरू हो जाती है। इसे 15 से 20 दिन तक बेचकर खेत को खाली कर लें ताकि अगली फसल (जैसे कि धान) की बुवाई समय पर की जा सके।
मूली की फसल में कीड़ों से बचाव कैसे करें?
मूली की फसल में जड़ में कीड़े लगने की समस्या आम होती है, लेकिन इससे निपटना आसान है। इसके लिए हमारे यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध वीडियो देखकर आप सही दवा का उपयोग कर सकते हैं। अगर कोई दिक्कत हो तो आप हमारे संपर्क नंबर पर भी बात कर सकते हैं, जहाँ आपको पूरी जानकारी दी जाएगी।
किसान भाइयों के लिए सुझाव
नया तरीका अपनाएं: अगर आप मूली की खेती करना चाहते हैं तो हाथ से कतार बनाकर बुवाई करें। इससे मूली सीधी और बिना टेढ़ापन के तैयार होगी।
खर्च में कटौती: नई विधि से बुवाई करने पर आप बीज की लागत और श्रम दोनों में कमी कर सकते हैं।