जापानी लहसुन खेती कैसे करें ? इस तकनीक से किसान हो रहे मालामाल, भारतीय किसानो के लिए मोटी कमाई का सौदा
How to cultivate Japanese garlic? Farmers are becoming rich with this technology, big earning deal for Indian farmers
जापानी लहसुन खेती कैसे करें ? इस तकनीक से किसान हो रहे मालामाल, भारतीय किसानो के लिए मोटी कमाई का सौदा
खेत तक, नई दिल्ली, 7 सितम्बर, लहसुन की खेती किसानों के लिए एक मोटी कमाई का जरिया लेकिन इसमें कई किसानो परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है । खासकर खरपतवारों से निपटना सबसे बड़ी समस्या है, किसान भाइयो खरपतवार लहसुन की फसल कमजोर कर देता है और उत्पादन को कम कर देता है। ऐसे में जापानी किसानों ने इस समस्या का हल निकालते हुए एक अनोखी तकनीक विकसित की है जो हम भारतीय किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है।
किसान भाइयो लहसुन की खेती के दौरान जापानी किसान अब एक विशेष नायलॉन पेपर का उपयोग करते हैं जो खरपतवार को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस तकनीक के तहत खेत को अच्छी तरह से जोतकर एक साढ़े तीन फीट चौड़ा बिस्तर (बेड) तैयार किया जाता है और उसके दोनों ओर नाली बनाई जाती है। इस बिस्तर पर नायलॉन का छेदों वाला पेपर बिछाया जाता है जिसमें लहसुन के बीज लगाए जाते हैं। इस पेपर की खासियत यह है कि यह खरपतवार को उगने से रोकता है, जिससे लहसुन की जड़ें खुलकर फैल पाती हैं और उनका विकास अधिक होता है।
किसान भाइयो जापानी से नायलॉन पेपर का उपयोग लहसुन की खेती में खरपतवार को पूरी तरह से खत्म करने में सहायक होता है। भारतीय किसान भी इस तकनीक को अपनाकर अपने उत्पादन को बढाकर लाखो रूपये कमा रहे है। जबकि भारत में कुछ किसान धान की पराली का उपयोग करते हैं लेकिन नायलॉन पेपर से मिलने वाले फायदे पराली से नहीं मिलते। पेपर की मजबूती और टिकाऊपन के कारण यह जमीन में जड़ों को मजबूत बनाती है।
किसान भाइयो जापानी तकनीक को अपनाने के लिए शुरूआती दौर में खर्चा अधिक हो सकता है लेकिन इससे मिलने वाला फायदा किसानो के लिए फायदेमंद है। खरपतवार पर खर्च होने वाले पैसों में भारी कटौती होती है और उत्पादन अधिक होता है बाजार में अच्छा भाव भी मिलता है।
लहसुन की खेती के लिए सावधानियाँ
तापमान: लहसुन की खेती के लिए ठंडा और शुष्क मौसम उपयुक्त है।
सिंचाई: लहसुन के पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन मिट्टी में नमी बनाए रखना जरूरी है।
रोग प्रबंधन: इस तकनीक के उपयोग से रोगों का खतरा भी कम हो जाता है, क्योंकि खरपतवार और नमी से फसल को नुकसान होने की संभावना कम हो जाती है।