मूंग की फसल सुखाने में जल्दबाजी: खतरनाक रसायनों का उपयोग बढ़ा, सेहत और जमीन पर बुरा असर
मूंग की फसल को तेजी से सुखाने के लिए खतरनाक पैराक्वाट रसायन का उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। जानिए कैसे इससे फेफड़े, गुर्दे और जमीन की उर्वरता पर बुरा असर पड़ता है।
मूंग की फसल सुखाने में जल्दबाजी: खतरनाक रसायनों का उपयोग बढ़ा, सेहत और जमीन पर बुरा असर
खेत तक, चंडीगढ़ : खड़ी मूंग की फसल को जल्दी सुखाने के लिए किसान खतरनाक रसायनों का सहारा ले रहे हैं। मूंग की फसल सामान्यत: 10 दिन में सूखती है, लेकिन पैराक्वाट डाइक्लोराइड जैसे खरपतवारनाशी रसायन के छिड़काव से इसे महज 3 दिनों में सुखाया जा रहा है। हालांकि, यह तरीका न केवल किसानों की सेहत के लिए खतरनाक है, बल्कि जमीन की उर्वरता और हमारी रसोई में पकने वाली मूंग की गुणवत्ता पर भी बुरा असर डालता है।
नहरी क्षेत्रों में लगभग 2.60 लाख हेक्टेयर में फैली मूंग की फसल इस समय कटाई के लिए तैयार हो रही है। किसानों का मकसद फसल को जल्दी बेचने का होता है, इसलिए वे पैराक्वाट जैसे खरपतवारनाशकों का उपयोग कर रहे हैं। इससे मूंग की फसल को तेजी से पकने और सूखने में मदद मिलती है, जिससे कटाई और मंडियों में बिक्री जल्दी की जा सकती है।
पैराक्वाट डाइक्लोराइड एक गैर-चयनात्मक खरपतवारनाशी है, जो पौधों के संपर्क में आने पर तुरंत ही उनकी प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को रोक देता है। इससे पौधे तेजी से सूखने लगते हैं।
हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह रसायन मूंग के दानों तक पहुंच जाता है, जो हमारी रसोई में पकने के बाद हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है।
डॉ. पीयूष राजवंशी और डॉ. पवन सैनी के अनुसार, इस तरह के खतरनाक रसायनों का प्रभाव शरीर के लिए सायटो-टॉक्सिक हो सकता है, जिससे कोशिकाओं को नुकसान पहुंचता है और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे फेफड़े और गुर्दे पर बुरा असर पड़ सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, किडनी फेलियर, और गंभीर संक्रमण का खतरा रहता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि मूंग को उपयोग से पहले कई बार धोया जाए, ताकि रसायनों का असर कम किया जा सके।
खतरनाक रसायनों के लगातार उपयोग से न केवल स्वास्थ्य पर असर होता है, बल्कि जमीन की उर्वरता भी धीरे-धीरे खत्म होती जाती है। ये रसायन मिट्टी में रहकर उसकी जैविक गतिविधियों को प्रभावित करते हैं, जिससे अगली फसलों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है।
कृषि विभाग का मानना है कि किसानों को प्राकृतिक तरीके से फसल सुखाने के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए। जल्दबाजी में खतरनाक रसायनों का उपयोग करने से न केवल सेहत को खतरा होता है, बल्कि जमीन की उर्वरता भी प्रभावित होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, फसल की चमक और पोषण बनाए रखने के लिए इसे प्राकृतिक रूप से पकने दिया जाना चाहिए।
डॉ. पीयूष राजवंशी का सुझाव है कि मूंग को पकाने से पहले उसे कई बार पानी से धोया जाए। इससे मूंग पर मौजूद रसायनों का प्रभाव कम हो सकता है। इसके अलावा, किसानों को भी जागरूक होना चाहिए और खतरनाक रसायनों का उपयोग बंद करना चाहिए।