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DAP Khad : क्यों है DAP खाद की किल्लत ? किसानों को समय पर क्यों नहीं मिल रही समय पर खाद

डीएपी 18-46-0 का उपयोग बुवाई-पूर्व खेती में करना चाहिए ताकि फसल के प्रारंभिक विकास में सुधार हो। जानें, डीएपी का सही उपयोग कैसे करें और इसके लाभ।

DAP Khad : क्यों है DAP खाद की किल्लत ? किसानों को समय पर क्यों नहीं मिल रही समय पर खाद

किसान भाइयो जैसा कि आप सभी जानते है कि फिलहाल रबि फसलों की बुवाई का सीजन चल रहा है लगभग किसानो ने सरसों की बुवाई का काम पूरा कर लिया है लेकिन गेंहू की अगेती बिजाई के लिए लगे हुए है। ऐसे मे किसानों को गेंहू की बिजाई के लिए डीएपी खाद की बहूत ज्यादा आवश्यकता है। लेकिन खाद की कमी के चलते किसानों को काफि ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

इतना ही नही किसान खाद लेने के लिए सुबह से लेकर शाम तक लाइनो मे खड़े रहते है फिर भी किसानो को एक बैग से उपर खाद नही मिल रहा है। खाद की कमी के चलते गेंहू की बिजाई लेट हो रही है। जिसके लिए किसानों में खाद के लिए मारामारी बनी हुई है। किसान भाइयो डीएपी खाद क्यों है जरूरी? हर बार बिजाई के समय में ही खाद की किल्लत क्यों होती है इसके बारे में आज के लेख के माध्यम से आपको विशेष जानकारी देंगे।

किसान भाईयो फसलों में उत्पादकता बढ़ाने और बेहतर फसल उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए उर्वरकों का सही उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में डीएपी 18-46-0 उर्वरक का उपयोग व्यापक स्तर पर किया जाता है। यह उर्वरक, जो मुख्य रूप से नाइट्रोजन और फॉस्फोरस का मिश्रण है, फसलों के शुरुआती विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन, इसका उपयोग सही तरीके से और उचित मात्रा में होना आवश्यक है ताकि इसका अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके। आइए, जानते हैं डीएपी का उपयोग कैसे करें और इससे जुड़ी आवश्यक जानकारी।

डीएपी का महत्व और इसका रासायनिक संरचना
डीएपी 18-46-0 का मतलब है कि इसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है, जो कि फसल के विकास के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व हैं। इसका उपयोग विशेष रूप से फसल चक्र में शुरुआती वृद्धि और जड़ विकास को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह मिट्टी में घुलने के बाद पीएच स्तर को अस्थायी रूप से क्षारीय बना देता है, जिससे पौधों को पोषक तत्व अवशोषित करने में आसानी होती है।

डीएपी 18-46-0 का सही उपयोग कैसे करें?
डीएपी का उपयोग फसल चक्र के अनुसार किया जाना चाहिए ताकि इसकी अधिकतम प्रभावशीलता प्राप्त हो सके। इसका उपयोग निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है:

1. बुवाई-पूर्व खेती में उपयोग
डीएपी का सबसे प्रभावी उपयोग बुवाई-पूर्व खेती, जुताई के समय होता है। इसका उद्देश्य मिट्टी में फॉस्फोरस का पूरक प्रदान करना होता है, जो बीज के अंकुरण में सहायक होता है।
खुराक: फसल और मिट्टी के अनुसार डीएपी की मात्रा निर्धारित करें। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्य तौर पर गेहूं और धान जैसी प्रमुख फसलों के लिए 50-60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की खुराक उपयुक्त होती है।

2. बीजों के पास लगाने का महत्व
डीएपी को सीधे बीज के पास लगाना चाहिए, ताकि बीज अंकुरित होते ही पोषक तत्व आसानी से उपलब्ध हो सकें। यह पोषक तत्वों के प्रभावी अवशोषण में सहायक होता है।
बीज के नजदीक लगाने से इसकी असरदारता बढ़ती है, जिससे शुरुआती विकास में महत्वपूर्ण पोषण मिलता है।

3. खड़ी फसलों पर उपयोग न करें
कृषि विशेषज्ञ खड़ी फसलों पर डीएपी के उपयोग की सलाह नहीं देते। इसे फसल की जड़ में लगाने से बेहतर परिणाम मिलते हैं, जिससे पौधों को स्थायी पोषण मिलता है।

डीएपी के उपयोग के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
डीएपी के उपयोग के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
डीएपी का सही मात्रा में उपयोग फसल उत्पादन को बढ़ावा देता है और जड़ों को मजबूत बनाता है। इसके उपयोग से पौधों को शुरुआत में बेहतर पोषण मिलता है, जिससे पौधों का विकास तेज होता है।

यही कारण है कि फसलों मे गुणवता बढाने व अधिक से अधिक उत्पादन लेने के लिए किसान डीएपी खाद का अधिक प्रयोग करते है। समय पर खाद न मिलने के लिए किसानों को इतनी बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके लिए सरकार को कड़े से कडे़ कदम उठाने चाहिए ताकि किसनो को बिजाई के समय मे खाद के लिए कोई परेशानी न हो।

Sandeep Verma

नमस्ते, मैं संदीप कुमार । मैं 10 साल से लगातार पत्रकारिता कर रहा हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेत तक जुड़ी हर खबरें बताने का प्रयास करूँगा । मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर तकनीक और योजनाओ का लाभ प्राप्त कर सकें। ताजा खबरों के लिए आप खेत तक के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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