रेवाड़ी में अच्छी बारिश के बाद किसानों के लिए उपयुक्त समय, जड़ वाली सब्जियों की खेती की शुरुआत
रेवाड़ी में अच्छी बारिश के बाद किसान जड़ वाली सब्जियों की खेती शुरू कर सकते हैं। प्राकृतिक कृषि पद्धति से उगाई गई फसलें अधिक पौष्टिक और लाभकारी होती हैं। जानें कैसे बेड, ट्रिप और मल्चिंग से कम पानी में अच्छी पैदावार ली जा सकती है।
रेवाड़ी में अच्छी बारिश के बाद किसानों के लिए उपयुक्त समय, जड़ वाली सब्जियों की खेती की शुरुआत
प्राकृतिक कृषि पद्धति से अच्छी पैदावार, कम पानी में अधिक मुनाफा
रेवाड़ी: इस बार रेवाड़ी में हुई अच्छी बारिश ने आगामी फसलों के लिए बेहतर वातावरण तैयार किया है। सितंबर के अंतिम सप्ताह से किसान जड़ वाली सब्जियों की खेती की शुरुआत कर सकते हैं। किसानों ने अब अपने खेतों को तैयार करना शुरू कर दिया है, ताकि वे समय पर अपनी फसलें लगा सकें और बाजार में अच्छी कीमत प्राप्त कर सकें।
रेवाड़ी के किसान यशपाल खोला ने बताया कि वह प्राकृतिक कृषि पद्धति से खेती कर रहे हैं और दिल्ली, गुरुग्राम, रेवाड़ी, भिवाड़ी व धारूहेड़ा जैसे शहरों में सब्जियों की होम डिलीवरी कर रहे हैं। उनका मानना है कि अब जड़ वाली सब्जियों जैसे गाजर, मूली, चुकंदर, शलगम, खरीफ प्याज और आलू की बिजाई का सही समय है। इसके अलावा, पत्तेदार सब्जियों में पालक, मैथी, धनिया और राई पत्ता भी उगाए जा सकते हैं। बैंगन, मिर्च, और टमाटर जैसी अन्य फसलें भी इस समय लगाई जा सकती हैं।
प्राकृतिक खेती से फायदे
प्रगतिशील किसान यशपाल खोला का कहना है कि खेत तैयार करते समय किसानों को घनजीवामृत जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि कम पानी में भी अच्छी पैदावार संभव होगी। इसके साथ ही बेड, ट्रिप और मल्चिंग जैसी तकनीकों का उपयोग करके पानी की बचत की जा सकती है। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक कृषि पद्धति अपनाने की सलाह दी, ताकि उनके उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर हो और वे अपने उपभोक्ताओं को पौष्टिक सब्जियां प्रदान कर सकें।
सब्जियां | उगाने का समय | उपयोग की जाने वाली विधि |
---|---|---|
गाजर, मूली, आलू | सितंबर का अंतिम सप्ताह | प्राकृतिक कृषि पद्धति |
पालक, मैथी, धनिया | सितंबर का अंतिम सप्ताह | घनजीवामृत, निमास्त्र का प्रयोग |
बैंगन, मिर्च, टमाटर | अक्टूबर की शुरुआत | बेड, ट्रिप, मल्चिंग का प्रयोग |
घनजीवामृत और निमास्त्र का महत्व
यशपाल खोला ने कहा कि किसानों को अपने खेतों में घनजीवामृत, निमास्त्र और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना चाहिए। यह विधि न केवल मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाती है, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता और स्वाद भी बेहतर बनाती है।
किसानों को इस समय का लाभ उठाकर जड़ वाली सब्जियों और पत्तेदार सब्जियों की खेती शुरू करनी चाहिए, ताकि वे अच्छा मुनाफा कमा सकें। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उगाई गई सब्जियां न केवल स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि रासायनिक सब्जियों की तुलना में अधिक पौष्टिक भी होती हैं। इसके अलावा, इस विधि से जमीन की उपजाऊ शक्ति भी बेहतर होती है, जिससे लंबे समय तक अच्छी पैदावार होती है।
रेवाड़ी के किसान अब तेजी से खेत तैयार कर रहे हैं और इस वर्ष की अच्छी बारिश से मिली मदद के चलते वे आशान्वित हैं कि उन्हें इस बार बेहतर उत्पादन और अच्छा मुनाफा मिलेगा।