1200 कट्टे जमाबंदी आधार से किसानों को मिला डीएपी खाद, लगातार किल्लत से किसानों की बढ़ी चिंता
जमाबंदी आधार से कस्बे में 1200 डीएपी खाद कट्टों का वितरण हुआ। किसानों को रबी फसलों के बुवाई के समय खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कृषि मंत्री की देखरेख में खाद का वितरण
1200 कट्टे जमाबंदी आधार से किसानों को मिला डीएपी खाद, लगातार किल्लत से किसानों की बढ़ी चिंता
बहोत : 14 नवंबर 2024 — किसानों को रबी की फसल के लिए डीएपी खाद की भारी जरूरत है, लेकिन आपूर्ति में आ रही कमी ने स्थिति को जटिल बना दिया है। मंगलवार को कस्बे में आई हेल्थी हार्वेस्ट कृषि प्रोड्यूसर कंपनी के पास उपलब्ध 1200 डीएपी खाद के कट्टे बुधवार को कृषि पर्यवेक्षक कौशल किशोर मीणा की देखरेख में जमाबंदी आधार पर वितरित किए गए। इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रति किसान तीन-तीन कट्टे खाद दिए गए ताकि अधिकतम किसानों तक इसका लाभ पहुँच सके।
फसल बुवाई का यह समय किसानों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, विशेषकर गेहूं, लहसुन, और सरसों जैसी फसलों के लिए जिनकी बुवाई पहले ही शुरू हो चुकी है। बावजूद इसके, खाद की कमी से किसान बुवाई की समयसीमा को लेकर चिंतित हैं। निजी खाद बीज विक्रेता भी अब तक डीएपी खाद का ऑर्डर देने में हाथ खड़े कर रहे हैं, जिससे किसानों की परेशानियाँ बढ़ रही हैं। विक्रेताओं का कहना है कि अटैचमेंट की समस्याओं के चलते समय पर खाद की आपूर्ति करना कठिन हो रहा है, जिससे किसान दर-दर भटकने को मजबूर हैं।
कस्बे की सहकारी समितियाँ भी डीएपी खाद की आपूर्ति में कठिनाई महसूस कर रही हैं। किसान लगातार सहकारी समितियों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिलने से उनकी समस्याएँ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। किसानों ने बताया कि इस वक्त डीएपी खाद के लिए लाइन लगानी पड़ रही है और बारह सौ कट्टे की आवक उनकी जरूरतों को पूरा करने में पर्याप्त नहीं है।
डीएपी खाद की मांग में बढ़ोतरी और वितरण में आ रही चुनौतियों को देखते हुए, कृषि विभाग ने इस समस्या के समाधान की दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि किसानों तक जल्द से जल्द पर्याप्त मात्रा में खाद पहुँचाया जाए ताकि बुवाई के महत्वपूर्ण समय में उन्हें परेशानी न हो। विशेषज्ञों का मानना है कि डीएपी खाद की कमी का समाधान कृषि विभाग के सख्त निरीक्षण और नियमित आपूर्ति से ही किया जा सकता है।
डीएपी खाद की बढ़ती कीमत और कमी के चलते किसानों ने सरकार से अपील की है कि वे खाद की आपूर्ति की प्रक्रिया में सुधार करें और निजी विक्रेताओं पर उचित निगरानी रखें ताकि काला बाजारी को रोका जा सके।