बारिश के कारण ग्वार में चारकोल रोट का प्रकोप बढ़ा: किसानो की बढती टेंसन पर विशेषज्ञों की सलाह
Learn how charcoal rot disease is affecting guar crops due to excessive rainfall in Sirsa, Haryana. Expert advice and prevention methods to control this fungal infection in guar farming.
बारिश के कारण ग्वार में चारकोल रोट का प्रकोप बढ़ा: किसानो की बढती टेंसन पर विशेषज्ञों की सलाह
खेत तक, 20 सितम्बर, सिरसा, हरियाणा – हाल ही में सिरसा जिले के खंड ओढ़ां, रानियां, और नाथूसरी चौपटा के किसानों को भारी बारिश के कारण ग्वार की फसल में चारकोल रोट नामक फफूंदजनित बीमारी का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। मौसम में अधिक नमी के कारण यह बीमारी तेजी से फैल रही है। जिन किसानों ने समय पर जीवाणु अंगमारी (फंगस) का स्प्रे नहीं किया, उनके खेतों में यह समस्या अधिक गंभीर हो गई है। वहीं, जिन किसानों ने सिफारिश की गई दवाओं का समय पर छिड़काव किया, उनकी फसल पर इस बीमारी का असर कम देखा गया है।
चारकोल रोट की पहचान और उपचार
चारकोल रोट बीमारी की पहचान पौधे के तने के ऊपर काले निशानों से होती है। यह बीमारी तब अधिक प्रभावी होती है जब पौधे करीब 60 से 70 दिन के हो जाते हैं। पौधे के तने के ऊपरी हिस्से पर काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं और पौधे की बढ़वार रुक जाती है।
इस समस्या के समाधान के लिए टेट्राकोनाजोल 3-8 प्रतिशत का स्प्रे 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से किया जा सकता है। इस दवा का समय पर छिड़काव करने से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, बीमारी के बढ़ने से बचाव के लिए मौसम के अनुसार दवाओं का नियमित रूप से उपयोग करना बेहद आवश्यक है।
विशेषज्ञों का सुझाव
विशेषज्ञ डॉ. बी.डी. यादव ने बताया कि चारकोल रोट से प्रभावित क्षेत्रों में अधिकतर किसानों ने सही समय पर फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव नहीं किया, जिससे यह समस्या उभरकर आई है। उनके अनुसार, किसानों को नियमित रूप से अपने खेतों का निरीक्षण करना चाहिए और मौसम के अनुसार बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही फफूंदी रोधक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा, स्थानीय कृषि विशेषज्ञों से समय-समय पर सलाह लेकर फसल की देखभाल करना भी आवश्यक है।
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे अपने खेतों में नमी का स्तर नियंत्रित रखें और अत्यधिक बारिश के बाद खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। साथ ही, कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई जैविक और रासायनिक दवाओं का नियमित छिड़काव समय पर करने से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।