Basmati Paddy Price : उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों को बासमती धान के कम दाम मिल रहे, उपज में भी आई गिरावट
बासमती धान के दामों में भारी गिरावट, किसानों की बढ़ी मुश्किलें
Basmati Paddy Price : उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों को बासमती धान के कम दाम मिल रहे, उपज में भी आई गिरावट
Basmati Paddy Price: खेत तक, 9 अगस्त, इस साल बासमती धान के दामों में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल किसानों को लगभग 500-800 रुपये प्रति क्विंटल कम कीमत मिल रही है, जिससे उनकी आय में भारी कमी आई है। इसके साथ ही, उपज में भी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे किसानों की समस्याएं और बढ़ गई हैं।
उत्तर प्रदेश में बासमती धान के दाम
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों को बासमती धान के लिए इस साल औसतन 2,200-2,500 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है, जबकि पिछले साल यह 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक था। सबसे पहले बाजार में बिकने आने वाली पूसा बासमती-1509 किस्म की फसल की कीमत में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अलीगढ़ जिले के किसान भूषण त्यागी के अनुसार, उन्हें खैर मंडी में केवल 2,500 रुपये प्रति क्विंटल पर पूसा बासमती-1509 किस्म का धान बेचने पर मजबूर होना पड़ा।
राज्य मंडी कीमत (रुपये/क्विंटल)
उत्तर प्रदेश खैर मंडी 2,100-2,600
हरियाणा करनाल मंडी 2,400
हरियाणा में बासमती धान की स्थिति
हरियाणा में भी किसानों को इस साल बासमती धान के लिए कम कीमत मिल रही है। करनाल मंडी में किसानों ने इस साल अधिकतम 2,400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव प्राप्त किया है, जो पिछले साल की तुलना में काफी कम है। यूपी के शामली जिले के किसान देवेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें इस साल धान बेचने पर उम्मीद से कम दाम मिले हैं, और उपज में भी एक चौथाई की गिरावट आई है।
उपज में गिरावट की समस्या
किसानों के अनुसार, इस साल बासमती धान की उपज में भी गिरावट दर्ज की गई है। अलीगढ़ के भूषण त्यागी ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल उपज में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है। देवेंद्र सिंह ने भी बताया कि उन्होंने इस साल बासमती का रकबा घटाकर 6 बीघा कर दिया है, क्योंकि उन्हें डर था कि कीमतें कम हो सकती हैं।
निर्यातकों को हो सकता है फायदा
कम दाम मिलने से भले ही किसानों को नुकसान हो रहा हो, लेकिन निर्यातकों के लिए यह स्थिति फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे भारतीय बासमती चावल की कीमतें पाकिस्तान के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकती हैं, जिससे निर्यात में वृद्धि की संभावना है। बासमती चावल निर्यात के लिए भारत का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) 950 डॉलर प्रति टन रखा गया है।
मिलर्स की सावधानी
एसोसिएशन ऑफ कमीशन एजेंट्स के उपाध्यक्ष राजिंदर गुप्ता ने बताया कि मिलर्स इस साल सावधानी से खरीदारी कर रहे हैं। पिछले साल बासमती धान को अधिक कीमत पर खरीदने के बाद उन्हें घाटा हुआ था, और इस साल किसानों द्वारा अधिक रकबे में बासमती की खेती करने से आपूर्ति भी बढ़ गई है, जिससे कीमतों पर दबाव बढ़ा है।
इस साल बासमती धान के दामों में आई गिरावट से किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उपज में गिरावट और कम कीमतों के कारण किसानों की आय में भारी कमी आई है, जिससे उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि, निर्यातकों के लिए यह स्थिति फायदेमंद हो सकती है, लेकिन किसानों की समस्याओं का समाधान करना भी जरूरी है।