Solar Expressway: देश का पहला सोलर एक्सप्रेस वे, 7 जिलों से होकर गुजरेगा ये एक्सप्रेस वे, 1 लाख घरों को मिलेगी बिजली
Solar Expressway: देश का पहला सोलर एक्सप्रेस वे, 7 जिलों से होकर गुजरेगा ये एक्सप्रेस वे, 1 लाख घरों को मिलेगी बिजली
Bundelkhand Solar Expressway: बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को बतौर सोलर एक्सप्रेसवे विकसित किया जाएगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे सात जिलों से गुजरता है, जिसमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा शामिल हैं।
इसी बेल्ट पर सोलर पैनल स्थापित कर 550 मेगावॉट सोलर पॉवर जेनरेट की जाएगी। इस परियोजना के पूरा होने से ग्रीन एनर्जी डेवलप होगी, जिससे 1 लाख घरों तक बिजली सप्लाई की जाएगी।
यूपी में एक्सप्रेसवे का जाल
उत्तर प्रदेश में कई एक्सप्रेसवे और हाईवे संचालित हैं और कईयों का निर्माण कार्य जारी है। इनमें से प्रत्येक एक्सप्रेसवे खूबियों से भरा है। राज्य में फिलहाल कुल 15 एक्सप्रेसवे हैं।
इनमें बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे सबसे अलग पहचान बनाने जा रहा है । उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी यूपीडा (UPEIDA) इसको सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित कर रही है।कम पढ़ें
देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे
296 किलोमीटर लंबे इस सड़क मार्ग के दोनों किनारों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे। यह देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे होगा। इस परियोजना के पूरा होने से लगभग एक लाख घरों को बिजली मिलेगी।
इसके लिए व्यापक पैमाने पर जमीन अधिग्रहण के लिए चिह्नित कर ली गई है। इसके लिए 8 सोलर पॉवर डेवलपर्स ने अपना प्रेजेंटेशन पूरा कर लिया है। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे सात जिलों से गुजरता है, जिसमें चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा शामिल हैं।
एक्सप्रेसवे पर लगेगा सोलर प्लांट
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत सोलर प्लांट लगाए जाएंगे। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर मुख्य मार्ग और सर्विस लेन के बीच 15 से 20 मीटर चौड़ी पट्टी वाला क्षेत्र पूरे एक्सप्रेसवे में खाली है।
लिहाजा, इसी बेल्ट पर सोलर पैनल स्थापित कर 550 मेगावॉट सोलर पॉवर जेनरेट की जाएगी। इस परियोजना के पूरा होने से ग्रीन एनर्जी डेवलप होगी।
सोलर एक्सप्रेसवे के मुफीद है बुंदेलखंड
इस प्रोजेक्ट से बुंदेलखंड, पूर्वांचल, लखनऊ आगरा और गोरखपुर एक्सप्रेसवे पर सोलर पैनल प्लांट लगाने से सालाना ऊर्जा खपत पर 6 करोड़ रुपये का लाभ मिलेगा।
लिहाजा, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे इस प्रोजेक्ट को लगाने के लिए सबसे उपयुक्त है। यहां भूमि आसानी से उपलब्ध है। इसके अलावा यहां मौसम अधिकतर साफ और शुष्क रहता है। इसके अतिरिक्त यहां प्रतिवर्ष लगभग 800 से 900 मिलीमीटर औसत बारिश दर्ज की जाती है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को कनेक्ट करता है बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
296 किमी फोरलेन बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण पर यूपीडा ने करीब 14850 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसे भविष्य में 6 लेन तक विकसित किया जा सकता है।
यह एक्सप्रेसवे इधर चित्रकूट जिले के भरतकूप के पास गोंडा गांव में एनएच-35 से लेकर इटावा के कुदरैल गांव तक फैला है, जहां आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे में मिलता है। एक्सप्रेसवे पर सुरक्षा और आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए रात-दिन पुलिस पेट्रोलिंग व एंबुलेंस की गस्त रहती है। इसमें वाहन चालकों को टोल टैक्स के रूप में 600 रुपये 3900 रुपये तक चुकता करने पड़ सकते हैं।
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे किनारे बनेगा इंडस्ट्रियल कॉरिडोर
यूपीडा ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे दो इंडस्ट्रियल कॉरिडोर स्थापित करने के लिए बड़ा बजट प्लान किया है। इसमें पहला कॉरिडोर जालौन और दूसरा बांदा में विकसित होगा।
यूपी सरकार ने इसके लिए 3500 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की लोकेशन सिकरीगंज से राम जानकी मार्ग पर धुरियापार के पास तय होनी हैं। ये कॉरिडोर बुंदेलखंड में पहले से बन रहे डिफेंस कॉरिडोर से अलग होंगे।
बुंदेलखंड के ट्रांसपोर्टेशन की होगा विकास
चित्रकूट से इटावा तक जाने वाला यह एक्सप्रेसवे अपने आप में खास है। इस सड़क मार्ग को सोलर एक्सप्रेसवे के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके आसपास औद्योगिक सिटी बसाकर लोगों को रोजगार से जोड़ने का प्लान है। यह सबसे कम 28 महीने में बनकर तैयार होने वाला मार्ग है।
यह यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। यह एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेसवे है। इस एक्सप्रेसवे पर 18 ओवरब्रिज, 14 बड़े पुल, 6 टोल प्लाजा, 7 रैंप प्लाजा, 4 रेलवे ओवरब्रिज और 266 छोटे पुल हैं। इसके निर्माण से बुंदेलखंड के ट्रांसपोर्टेशन और विकास में तेजी देखी जा रही है।