खेत की ताक़त बढ़ाने के बिल्कुल आसान तरीके, गेंहू और सब्जी की पैदावार होगी बंपर
खेती में उर्वरा शक्ति बढ़ाने के तरीके: जानें खेत की मिट्टी की जांच, गहरी जुताई, ढैंचा की बुवाई और देसी खाद का प्रयोग। खेती में लागत कम करें और उपज बढ़ाएं।
खेत की ताक़त बढ़ाने के बिल्कुल आसान तरीके, गेंहू और सब्जी की पैदावार होगी बंपर
खेत तक, किसान भाइयों आज के समय में खेती में लागत बढ़ती जा रही है लेकिन पैदावार में कमी ही नहीं बल्कि न के बराबर है। क्योंकि हमारे खेतों की उपजाऊ शक्ति इतनी कम हो गई है जिसकी वजह से फसल का उत्पादन घटता जा रहा है। अगर आप अपने खेतों की उपजाऊ शक्ति बढ़ाकर अधिक पैदावार लेना चाहते है तो तो यहां कुछ खास उपाय बताए जा रहे हैं जिन्हें आप अपने खेतों में प्रयोग कर खेती को रसायन मुक्त बना सकते हैं। तो आइए जानते है कुछ नए तरीके ।
खेत की मिट्टी का टेस्ट कराना है जरूरी
किसान भाइयों अधिकतर किसान खेत की मिट्टी जांच को कुछ नहीं मानते है मिट्टी जांच करवाए बगेर ही खेत में फसल उगाना शुरू कर देते है बल्कि खेत में कोई फसल बोने से पहले मिट्टी की जांच सबसे पहला कदम है। मिट्टी का pH स्तर पोषक तत्वों की कमी और जरूरतों का पता लगाना खेत की उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक होता है। इससे आप जान सकते हैं कि आपके खेत में किस प्रकार के पोषक तत्वों की कमी है। और आप उन पोषक तत्वों की कमी को पूरा कर सकते है । इसलिए मिट्टी जांच का होना बहुत ही जरूरी है ।
खेत की गहरी जुताई करना
किसान भाइयों जो किसान छोटे स्तर पर खेती करते है वह किसान पेसे बचाने के चक्कर में खेत की जुताई गहरी नहीं करते है । जबकि खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए गहरी जुताई करना चाहिए । इससे मिट्टी के निचले स्तर तक हवा का संचरण होता है जिससे फसल की जड़ों में मजबूती आती है और सिंचाई का पानी भी जमीन में नीचे तक जाता है। गर्मियों में जुताई करने से मिट्टी में जमा बीमारियों और खरपतवार के बीज काम करना छोड़ जाते हैं। गहरी जुताई से आपके खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होगी।
ढैंचा की बुवाई
किसान भाइयों खेत में ढैंचा, ग्वार या मूंग जैसे दलहनी फसलों के बारे में आप सभी भली भांति जानते है की इनकी करने से उपजाऊ शक्ति को बहुत अधिक बढ़ावा मिलता है । ढैंचा में उच्च मात्रा में नाइट्रोजन होती है, जो मृदा को उर्वर बनाती है। इसे 40-45 दिन बाद खेत में वापस मिला दें। यह प्रक्रिया जमीन में ग्रीन मैन्योर (हरा खाद) का काम करती है, जो नाइट्रोजन का प्राकृतिक स्रोत है। यह आपके खेतों में कार्बन का स्तर बढ़ाएगा और रासायनिक खाद पर निर्भरता कम करेगा।
देसी गोबर खाद का प्रयोग करें
अगर आपके पास देसी गोबर खाद उपलब्ध है तो इसका उपयोग खेतों में करें। यह जैविक खाद खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है। साथ ही, इसमें आवश्यक पोषक तत्व होते हैं जो मृदा को समृद्ध बनाते हैं।
खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के फायदे
इन उपायों को अपनाकर आप अपनी खेती की लागत को आधा कर सकते हैं। रासायनिक खाद की निर्भरता घटाकर जैविक विधियों को अपनाकर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है। अपने खेतों की मिट्टी और फसलों को बेहतर बनाए रखने के लिए इन उपायों का नियमित पालन करें और अच्छे उत्पादन का लाभ लें।
टिप्स: यदि आप अपने खेतों में केवल प्राकृतिक उपायों का प्रयोग करते हैं तो आपकी जमीन लम्बे समय तक उर्वरा बनी रहेगी और खेती का खर्च भी घटेगा।
खेती को रसायन मुक्त करना अब हर किसान की जरूरत बनता जा रहा है। इससे न केवल खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी बल्कि खेती में लागत भी कम होगी। अगर आप इन सभी उपायों को अपनाते हैं तो न केवल आपकी फसल अच्छी होगी, बल्कि आपके खेतों की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोतरी होगी।