कृषि समाचार

हरियाणा के किसानों के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों की सिफारिशें: सही समय और बीजोपचार से मिलेगा अधिक उत्पादन

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने हरियाणा के किसानों के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। जानें कौन-सी किस्म किस जिले के लिए उपयुक्त है और बुआई के सही समय के बारे में जानकारी।

हरियाणा के किसानों के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों की सिफारिशें: सही समय और बीजोपचार से मिलेगा अधिक उत्पादन

14 नवंबर, खेत तक, चंडीगढ़, रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही हरियाणा के किसान गेहूं की बुआई की तैयारी में जुट गए हैं। इस साल हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों के लिए विशेष सिफारिशें जारी की हैं, जिनमें विभिन्न जिलों के हिसाब से गेहूं की उन्नत किस्मों की सूची शामिल है। इन सिफारिशों का उद्देश्य किसानों को अधिक पैदावार और बेहतर गुणवत्ता का गेहूं उत्पादन प्राप्त करने में सहायता करना है।

हरियाणा के विभिन्न जिलों के लिए अनुशंसित गेहूं की किस्में

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निम्न जिलों के लिए गेहूं की किस्मों की अनुशंसा की गई है:

जिलेअनुशंसित किस्मेंप्रकार
करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद, सिरसाडब्ल्यूएच 1105, एचडी 3086, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 88सिंचित भूमि
यमुनानगर, पानीपत, जींद, सोनीपतडब्ल्यूएच 1105, एचडी 3086, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 88, डब्ल्यू एच 542सिंचित भूमि
हिसार, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ीडब्ल्यू एच 1105, एचडी 3086, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 88 (सिंचित भूमि); सी 306, डब्ल्यूएच 1142 (कम सिंचाई)विभिन्न
अम्बाला, पंचकूलाडब्ल्यूएच 1105, एचडी 3086, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 88 (सिंचित भूमि); डब्ल्यूएच 1142 (कम सिंचाई)विभिन्न
फरीदाबाद, पलवल, मेवात, गुरुग्रामडब्ल्यूएच 1105, एचडी 3086, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 88 (सिंचित भूमि); डब्ल्यू एच 1142 (कम सिंचाई)विभिन्न

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने सिंचित और कम सिंचाई वाली भूमि के अनुसार किस्मों की यह सूची बनाई है, जिससे किसानों को उनकी भूमि की स्थिति के अनुसार सही गेहूं का चुनाव करने में मदद मिले।

बीज उपचार और बुआई का सही समय

कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दीमक और अन्य फसलों की बीमारियों से बचाने के लिए बीज उपचार करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही सिंचित क्षेत्रों में बुआई का सबसे अच्छा समय नवम्बर के पहले दो सप्ताह बताया गया है, जबकि कम पानी वाली भूमि में बुआई अक्तूबर के अंतिम सप्ताह से शुरू करनी चाहिए। लवण प्रभावित भूमि में अधिक पैदावार के लिए बीज की मात्रा सामान्य भूमि से 25 प्रतिशत अधिक और छिड़काव विधि में 50 किलो प्रति एकड़ की सलाह दी गई है।

पीला रतुआ प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष सुझाव

उत्तर पूर्वी हरियाणा के पीला रतुआ प्रभावित जिलों में पीला रतुआ प्रतिरोधक गेहूं की किस्में जैसे पीबीडब्ल्यू 343, एचडी 2851, बरबट, सुपर, डीबीडब्ल्यू 17, डब्ल्यूएच 147, और डब्ल्यूएच 711 की बुआई करने का सुझाव दिया गया है। इससे फसल पीला रतुआ रोग से बची रहेगी, और उत्पादन में गिरावट नहीं आएगी।

किसानों के लिए सटीक जानकारी का महत्व

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा समय पर की गई यह अनुशंसा किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक है। उन्नत किस्मों का उपयोग और उचित बुआई के समय का ध्यान रखकर किसान अपनी पैदावार को बढ़ा सकते हैं और गुणवत्ता को बेहतर बना सकते हैं।

Sandeep Verma

नमस्ते, मैं संदीप कुमार । मैं 10 साल से लगातार पत्रकारिता कर रहा हूं । मुझे खेती-किसानी के विषय में विशेषज्ञता प्राप्‍त है। मैं आपको खेत तक जुड़ी हर खबरें बताने का प्रयास करूँगा । मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको 'काम की खबर' दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में बेहतर तकनीक और योजनाओ का लाभ प्राप्त कर सकें। ताजा खबरों के लिए आप खेत तक के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद

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