2024 में बासमती धान की फसल में गिरावट: क्या उत्पादन घटने से बढ़ेंगे भाव?
2024 में बासमती धान के उत्पादन में गिरावट और बाजार में कमजोर भावों का असर। जानें, क्या वैश्विक तनाव और समुद्री भाड़े की बढ़ोतरी से धान के भावों में सुधार की उम्मीद है?
2024 में बासमती धान की फसल में गिरावट: क्या उत्पादन घटने से बढ़ेंगे भाव?
कमजोर मानसून और अंतरराष्ट्रीय संकटों का असर, जानें बासमती धान के उत्पादन और बाजार मूल्य में क्या बदलाव आए हैं
Impact of decline in Basmati paddy production in 2024 and weak market prices. Know, is there any hope of improvement in paddy prices due to global tension and increase in sea freight?
बासमती धान की खेती उत्तर और मध्य भारत के किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, 2024 में कमजोर मानसून, वैश्विक तनाव, और बढ़ते समुद्री भाड़े ने बासमती धान के उत्पादन और कीमतों पर गंभीर असर डाला है। इस रिपोर्ट में हम विश्लेषण करेंगे कि उत्पादन में आई गिरावट और बाजार में मौजूदा हालात बासमती के भावों को कैसे प्रभावित करेंगे।
धान के भाव में आई गिरावट (decline in the price of paddy)
पिछले साल की तुलना में इस साल बासमती धान की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। धान की प्रमुख किस्मों जैसे 1509, 1718, और मुच्छल धान के भाव पिछले साल की तुलना में काफी कमजोर हो गए हैं।
किस्म | 2023 भाव (रुपये/क्विंटल) | 2024 भाव (रुपये/क्विंटल) |
---|---|---|
1509 | 3700-4400 | 2800-3350 |
1718 | 3600-4800 | 3200-3800 |
मुच्छल धान | 4000-5100 | 3350 तक ही |
पिछले साल की तुलना में उत्पादन में कमी और कमजोर भाव ने किसानों के मुनाफे पर गहरा असर डाला है। किसान 10,000 से 12,000 रुपये प्रति एकड़ का नुकसान झेल रहे हैं।
उत्पादन में गिरावट के कारण (Due to decline in production)
बासमती धान के उत्पादन में इस साल गिरावट का मुख्य कारण मानसून का असमान वितरण है। शुरुआती मानसून में देरी के कारण अगेती बासमती धान की किस्में जैसे 1509 और 1121 प्रभावित हुई हैं। इसके चलते प्रति एकड़ 2-5 क्विंटल तक उत्पादन में गिरावट आई है।
हालांकि, पछेती किस्मों पर इसका असर कम पड़ा है, और उनसे बेहतर उत्पादन की उम्मीद की जा रही है।
वैश्विक संकटों और बढ़ते समुद्री भाड़े का प्रभाव (Impact of global crises and rising sea freight)
अंतरराष्ट्रीय तनाव जैसे ईरान-लेबनान-इजराइल संघर्ष और समुद्री भाड़ों में बढ़ोतरी से निर्यात में भी कमी आई है। राइस एक्सपोर्टर नरेंद्र मिगलानी के अनुसार, युद्ध और बढ़ते भाड़े के कारण निर्यात प्रभावित हो रहा है। समुद्री भाड़ा 450 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1600 डॉलर प्रति टन हो गया है, जिससे चावल की सप्लाई में देरी हो रही है।
क्या भाव में सुधार की उम्मीद है? (Is there hope for an improvement in prices?)
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्तमान बाजार की स्थिति चुनौतीपूर्ण है, लेकिन आगे जाकर धान के भावों में सुधार की संभावना बनी हुई है। पुराना स्टॉक कम होने और निर्यात में तेजी आने से 1509, 1718, और अन्य किस्मों के चावल की मांग में बढ़ोतरी हो सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि बेहतर गुणवत्ता के पके हुए माल की आवक से 1121 और 1718 जैसे चावल के भाव में सुधार हो सकता है। 1121 का भाव 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना है।
किसानों के लिए आगे की राह (The way forward for farmers)
कमजोर उत्पादन और कमजोर भाव ने किसानों के लिए गंभीर आर्थिक संकट खड़ा किया है। हालांकि, बेहतर निर्यात और घरेलू मांग में बढ़ोतरी से आने वाले महीनों में राहत की उम्मीद है। किसानों और व्यापारियों को धान के बाजार में सतर्कता से कदम रखने की जरूरत है, क्योंकि बाजार के रुझान जल्दी बदल सकते हैं।