आज का मंडी भाव

किसानों को नहीं मिल रहा DAP: लंबी कतारों के बाद भी खाद की कमी बनी चिंता का विषय

हरियाणा और अन्य प्रदेशों में डीएपी खाद की भारी कमी से किसान परेशान। खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों के बावजूद किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं मिल रही, जिससे फसलों की बुबाई प्रभावित हो रही है।

मंडी भाव | 18 अक्टूबर 2024, हरियाणा किसानों के लिए गंभीर संकट
रबी फसलों की बुबाई का सीजन शुरू होते ही हरियाणा और अन्य प्रदेशों में किसानों को डीएपी खाद की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि प्रदेश सरकार ने पहले यह दावा किया था कि किसानों को खाद की कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। किसानों का आरोप है कि उन्हें खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में लगने के बाद भी डीएपी की आवश्यक मात्रा नहीं मिल रही है। इससे उनकी फसलों की बुबाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है।

मालवा और मुरैना में डीएपी की किल्लत
खासतौर पर मालवा और मुरैना क्षेत्र के किसानों को डीएपी की भारी कमी झेलनी पड़ रही है। किसानों को अपने खेतों की बुबाई के लिए जरूरी खाद नहीं मिल पा रही है, जिसकी वजह से वे दिन-रात खाद वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं। लेकिन समस्या यह है कि खाद का वितरण संतोषजनक तरीके से नहीं हो पा रहा, और किसानों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है।

किसानों की शिकायत: पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही डीएपी
किसानों का कहना है कि डीएपी खाद, जो कि फसलों की जड़ों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है, उन्हें पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल रही है। इस सीजन में करीब 42 लाख मीट्रिक टन खाद की आवश्यकता होती है, जिसमें डीएपी की बड़ी भूमिका होती है। अब तक सरकार द्वारा सिर्फ 1 लाख मीट्रिक टन खाद ही वितरित की गई है, जो मांग से बहुत कम है।

कृषि उत्पादआवश्यकता (मीट्रिक टन)वितरित (मीट्रिक टन)
यूरिया26 लाख13 लाख
डीएपी42 लाख1 लाख

बाजार में डीएपी के बढ़े दाम
बाजार में डीएपी की किल्लत के चलते कीमतें भी आसमान छू रही हैं। जहां एक थैली डीएपी सामान्य रूप से 1350 रुपये में मिलती थी, अब उसे 1500 रुपये में बेचा जा रहा है। किसानों का आरोप है कि समितियों में बैठे अधिकारी और कर्मचारी इस समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे, जिससे उन्हें ब्लैक मार्केटिंग का सामना करना पड़ रहा है।

फसलों पर डीएपी का महत्व
डीएपी खाद फसलों की जड़ों को मजबूत बनाती है और उनकी कोशिकाओं के विभाजन को प्रोत्साहित करती है। इससे पौधों की शाखाओं और जड़ों का विकास बेहतर होता है। डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके खाद मौजूद है, लेकिन अधिकांश किसान इसे प्राथमिकता नहीं देते।

प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं
किसानों ने इस समस्या को लेकर कई बार प्रशासन से शिकायत की, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। मुरैना कृषि उपज मंडी में स्थिति यह है कि सुबह 4 बजे से ही किसान लंबी कतारों में खड़े होते हैं। प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस तैनात करनी पड़ी है, लेकिन फिर भी किसानों को खाद की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

आगे की राह
अगर जल्द ही डीएपी की आपूर्ति में सुधार नहीं हुआ तो किसानों के लिए रबी सीजन में बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह खाद वितरण की प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाए, ताकि किसानों को सही समय पर डीएपी खाद मिल सके और उनकी फसलें समय पर बोई जा सकें।

डीएपी खाद की कमी किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। अगर सरकार ने इस ओर जल्द कदम नहीं उठाए तो इससे किसानों की फसलों पर गहरा असर पड़ सकता है। किसानों का यह संकट कृषि उपज पर भी प्रभाव डालेगा, जिससे बाजार में कीमतों में वृद्धि देखने को मिल सकती है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button