Organic spices farming ऑर्गेनिक मसालों की फसलों को देना होगा बढ़ावाः डॉ. तेहलान
Organic spices farming ऑर्गेनिक मसाला फसलों का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि पेस्टीसाइड्स और कीटनाशकों के उपयोग को कम किया जा सके। जानें हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉ. एसके तेहलान का दृष्टिकोण और ऑर्गेनिक खेती के फायदों के बारे में।
हिसार, 17 अक्टूबर 2024 फसलों में जिस तरह से पेस्टीसाइड्स और कीटनाशकों का बढ़ता प्रयोग हो रहा है, उसका सीधा असर मसाला फसलों पर भी पड़ा है। इससे निपटने के लिए ऑर्गेनिक मसाला फसलों का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में काम करना जरूरी है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सब्जी विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एसके तेहलान ने बताया कि ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि बदलते जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप भी यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
Organic spices farming ऑर्गेनिक मसाला फसलों का महत्व
ऑर्गेनिक मसालों का उत्पादन पारंपरिक मसालों की तुलना में अधिक स्वास्थ्यप्रद होता है, क्योंकि इसमें रासायनिक कीटनाशकों और पेस्टीसाइड्स का उपयोग नहीं किया जाता। डॉ. तेहलान ने जोर देकर कहा कि मौजूदा समय में ऑर्गेनिक खेती न केवल किसानों को बेहतर मुनाफा दिलाने में सहायक हो सकती है, बल्कि इससे मिट्टी की उर्वरता और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।
मसाला अनुसंधान परियोजना और उसके निष्कर्ष
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 35वीं अखिल भारतीय समन्वित मसाला अनुसंधान परियोजना की तीन दिवसीय वार्षिक समूह बैठक के दूसरे दिन, विभिन्न तकनीकी सत्रों में मसाला फसलों पर चर्चा की गई। इसमें ऑर्गेनिक मसालों के उत्पादन और इसके लिए उपयुक्त तकनीक के महत्व पर जोर दिया गया।
इस परियोजना के तहत मसाला फसलों की पैदावार और गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न राज्यों के रिसर्च सेंटर्स पर तीन साल तक फसलों की निगरानी की जाती है। इसके बाद ही फसल को बीज चेन में लाया जाता है। मसालों में मौजूद ऑयल कंटेंट को भी अच्छे उत्पादन के लिए मापा जाता है ताकि गुणवत्ता बनाए रखी जा सके।
भारत में मसालों का उत्पादन
आईएसओ द्वारा सूचीबद्ध 109 मसालों में से, भारत अपने कृषि-जलवायु विविधता के कारण 63 मसालों का उत्पादन करता है। इनमें से 20 मसालों को बीज मसालों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत मसाला उत्पादन में विश्व में अग्रणी है, और इसकी अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
क्लाइमेट चेंज और मसाला फसलें
डॉ. तेहलान के अनुसार, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मसाला फसलों की किस्मों में बदलाव आवश्यक है। विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुसार नई वेरायटीज का विकास किया जा रहा है ताकि किसानों को बदलते मौसम के अनुसार बेहतरीन फसल मिले। इसका प्रमुख कारण यह है कि मसाला फसलें जलवायु के प्रति संवेदनशील होती हैं, और बदलते मौसम के चलते इनकी उत्पादकता पर असर पड़ सकता है।
मसाला फसलों के लिए नई तकनीकें
बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि नई तकनीकों का इस्तेमाल करके कैसे मसाला फसलों की गुणवत्ता और पैदावार में वृद्धि की जा सकती है। इसके तहत ड्रिप इरिगेशन, मल्चिंग और हाईब्रिड बीज जैसी तकनीकों का महत्व बढ़ गया है।
मसाला | उत्पादन क्षेत्र (भारत में) |
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धनिया | राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात |
जीरा | राजस्थान, गुजरात |
हल्दी | महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश |
मिर्च | आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक |
अदरक | केरल, नॉर्थ-ईस्ट राज्य |
ऑर्गेनिक मसाला खेती के फायदे
- स्वास्थ्य के लिए लाभकारी: ऑर्गेनिक मसालों में पेस्टीसाइड्स और केमिकल्स की अनुपस्थिति होती है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए बेहतर बनाते हैं।
- पर्यावरण संरक्षण: ऑर्गेनिक खेती मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करती है और जल की खपत को कम करती है।
- आर्थिक लाभ: ऑर्गेनिक उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते किसानों को बेहतर कीमत मिलती है।
ऑर्गेनिक मसाला खेती को बढ़ावा देना भारतीय कृषि के लिए न केवल एक स्थायी विकल्प है, बल्कि इससे किसानों को भी अधिक लाभ हो सकता है। ऑर्गेनिक मसालों का उत्पादन जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में भी सहायक साबित हो सकता है। इस दिशा में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय हैं और यह भविष्य में भारतीय मसाला उद्योग के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।