GW 547 Wheat Variety: बंपर उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता, चपाती के लिए उपयुक्त
GW 547 गेहूं की नई किस्म रोग प्रतिरोधक क्षमता और उच्च उत्पादन के साथ चपाती और ब्रेड के लिए उपयुक्त है। जानें इसकी खासियत, पैदावार और खेती के लिए जरूरी सुझाव।
GW 547 Wheat Variety: बंपर उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता, चपाती के लिए उपयुक्त
GW 547 Wheat Variety: रबी फसलों का मौसम शुरू होने वाला है और किसानों के सामने इस बार गेहूं की एक नई किस्म आई है—GW 547। इस गेहूं की किस्म को हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया है, जो इसके उन्नत उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण खास ध्यान आकर्षित कर रही है। इस किस्म से न सिर्फ बंपर उत्पादन की उम्मीद है, बल्कि इसकी गुणवत्ता भी चपाती और ब्रेड के लिए उपयुक्त है।
GW 547: एक उन्नत गेहूं किस्म
GW 547 गेहूं की किस्म को 2023 में कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित किया। यह विशेष रूप से भारतीय जलवायु और मिट्टी की परिस्थितियों के लिए उपयुक्त है। इसमें उच्च पैदावार और रोग प्रतिरोधक क्षमता है, जिससे यह किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। इससे पहले GW 513 किस्म को विकसित किया गया था, जिसने काफी सफलता पाई थी, और अब GW 547 से भी बेहतर परिणाम की उम्मीद है।
GW 547 की प्रमुख विशेषताएँ
उत्कृष्ट पैदावार:
GW 547 गेहूं की किस्म से 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन की संभावना है, जबकि औसतन 58.20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन दर्ज किया गया है। उचित देखभाल और सिंचाई के साथ, पैदावार 78 से 80 क्विंटल तक भी पहुंच सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता:
इस किस्म में स्टेम रस्ट और लीफ रस्ट जैसी बीमारियों के खिलाफ उच्च प्रतिरोधकता पाई गई है, जो इसे खेती के लिए बेहद सुरक्षित बनाती है। इसके अलावा, यह गर्मी और सूखे की स्थितियों में भी अच्छे उत्पादन की क्षमता रखती है।
उपयुक्त सिंचाई:
GW 547 को 4-5 सिंचाई की आवश्यकता होती है। समय पर सिंचित भूमि में इसकी पैदावार अधिकतम हो सकती है।
उच्च पोषण गुण:
इस किस्म में प्रोटीन सामग्री 12.6% है और इसमें आयरन (39.8 पीपीएम) और ज़ीन (40.5 पीपीएम) जैसे सूक्ष्म पोषक तत्व मौजूद हैं, जो इसे पोषण से भरपूर बनाते हैं।
उपयुक्त चपाती और ब्रेड के लिए:
यह किस्म चपाती और ब्रेड के लिए आदर्श मानी गई है, क्योंकि इसका हेक्टोलिटर वजन (80.3 kg/hl) इसे बेहतरीन गुणवत्ता का बनाता है।
खाद का उपयोग:
गेहूं की खेती के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना फायदेमंद होता है। यह खाद फसल को जरूरी पोषण प्रदान करती है और मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारती है।
उर्वरक का उपयोग:
सामान्य स्थिति में 60 किलो नाइट्रोजन और 30 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर दिया जाना चाहिए। ध्यान रहे कि उर्वरक का अधिक उपयोग फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
सिंचाई और समय:
सही समय पर सिंचाई और बुवाई के बाद 4 से 5 बार पानी देना आवश्यक होता है। इससे फसल की पैदावार में सुधार होता है।
GW 547 के लाभ और बाजार में मांग
GW 547 गेहूं की किस्म में कई लाभ हैं, जिनमें प्रमुख हैं इसकी उच्च पैदावार, रोग प्रतिरोधकता, और पोषण मूल्य। चपाती और ब्रेड के लिए उपयुक्त होने के कारण, यह बाजार में भी अच्छा भाव प्राप्त कर रही है। इसकी विशेषताएँ इसे अन्य किस्मों से अलग और बेहतर बनाती हैं, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है।
इसके अलावा, इस किस्म को मध्य भारत और उत्तर-पश्चिम के सिंचित क्षेत्रों के लिए अत्यधिक अनुशंसित किया गया है। इस किस्म से देश में खाद्यान्न उत्पादन में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है।