Narma Bhav : हरियाणा में नरमा-कपास किसानों के खिले चेहरे: भाव में आई जबर्दस्त तेजी
हरियाणा के कपास किसानों को बारिश के बावजूद ऊंचे दामों का फायदा। जानिए होडल मंडी में कपास की कीमतें और इस वर्ष की कपास की फसल पर मौसम के प्रभाव के बारे में।
Narma Bhav : हरियाणा में नरमा-कपास किसानों के खिले चेहरे: भाव में आई जबर्दस्त तेजी
बारिश के बावजूद हरियाणा के कपास किसानों को अच्छे दामों का फायदा, होडल मंडी में 7900 रुपये प्रति क्विंटल तक बिका नरमा कपास।
Narma Bhav : हरियाणा के किसान जो इस साल बारिश और जलभराव के कारण कपास की फसल को लेकर चिंतित थे, उन्हें अब अच्छे दामों से थोड़ी राहत मिली है। होडल उपमंडल की अनाज मंडी में कपास की फसल इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से अधिक कीमत पर बिक रही है। वर्तमान में किसान अपनी कपास की फसल को 7400 से 7900 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बेच रहे हैं, जो पिछले साल की तुलना में बेहतर है।
कपास की खेती में कमी और बढ़े हुए दाम
कपास की कीमतों में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारण इस वर्ष कपास की खेती के क्षेत्र में कमी और सितंबर में हुई भारी बारिश है, जिससे फसल को काफी नुकसान पहुंचा। हालांकि इस नुकसान के बावजूद, कम आपूर्ति के कारण मंडियों में कपास की मांग बढ़ गई है और व्यापारी ऊंचे दामों पर कपास खरीद रहे हैं। सरकार द्वारा छोटे रेशे वाली कपास के लिए MSP 7121 रुपये और लंबे रेशे वाली कपास के लिए 7521 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
कपास की आवक में भारी गिरावट
पिछले वर्ष की तुलना में इस साल कपास की आवक में भी भारी कमी देखी गई है। 2023 में 23 सितंबर तक होडल मंडी में 11,528 क्विंटल कपास की आवक हुई थी, जबकि इस वर्ष अब तक केवल 4144 क्विंटल कपास ही मंडी में पहुंची है। इसका मुख्य कारण बारिश और जलभराव को माना जा रहा है, जिसने कपास की फसल को काफी हद तक प्रभावित किया।
कपास की कीमतों में उछाल
सितंबर की शुरुआत में कपास की कीमतें 5200 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थीं, जो अब बढ़कर 7400 से 7900 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण फसल की कम आवक और बाजार में इसकी बढ़ी हुई मांग है। किसान अब अपनी फसल से अधिक लाभ कमा रहे हैं, हालांकि बारिश और खराब मौसम ने उनकी फसल की गुणवत्ता को प्रभावित किया है।
खराब मौसम और फसल पर प्रभाव
इस वर्ष की अनियमित बारिश और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों ने कपास की गुणवत्ता को प्रभावित किया है। इसके बावजूद, किसानों को अच्छी कीमत मिल रही है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम की अनिश्चितता और धान व गेहूं की बुवाई के चलते कपास की बुवाई कम हुई है, जिससे मंडियों में कपास की आवक में गिरावट आई है।
किसानों के लिए राहत भरी खबर
हालांकि कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है, लेकिन बढ़ी हुई कीमतों ने किसानों को राहत दी है। निजी व्यापारी भी ऊंचे दामों पर कपास खरीद रहे हैं, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।