Sarso Tel : भारत के हर घर की रसोई में उपयोग होने वाला सरसों का तेल अमेरिका और यूरोप में क्यों है बैन?
Find out why mustard oil is banned in the USA and Europe for cooking, despite being widely used in India. Learn about the health concerns related to erucic acid in mustard oil.
Sarso Tel : भारत के हर घर की रसोई में उपयोग होने वाला सरसों का तेल अमेरिका और यूरोप में क्यों है बैन?
Sarso Tel : Khet Tak, 14 September, सरसों का तेल भारत में खाना पकाने के लिए सबसे लोकप्रिय तेलों में से एक है। इसके औषधीय गुण इसे न केवल खाने के लिए बल्कि त्वचा और बालों की देखभाल में भी इस्तेमाल करने योग्य बनाते हैं। खासकर उत्तर भारत में सरसों का तेल कई तरह की डिशेज़ और अचार में प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में सरसों के तेल को खाने में इस्तेमाल करने पर पाबंदी है? आइए जानते हैं इसके पीछे की मुख्य वजहें।
अमेरिकी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की रिपोर्ट के अनुसार, सरसों के तेल में इरुसिक एसिड (Erucic Acid) की मात्रा ज्यादा होती है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इस एसिड को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने एक फैटी एसिड के रूप में वर्गीकृत किया है, जो शरीर में फैट को बढ़ाता है और याददाश्त को कमजोर कर सकता है। यही कारण है कि अमेरिका और यूरोप में सरसों के तेल को खाने में उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
हालांकि, अमेरिका और यूरोप में सरसों का तेल बाजारों में मिलता है, लेकिन इसके इस्तेमाल पर एक खास शर्त होती है। सरसों के तेल पर स्पष्ट लिखा होता है कि यह सिर्फ “फॉर एक्सटर्नल यूज ओनली” यानी बाहरी उपयोग के लिए है। इन देशों में लोग इस तेल का इस्तेमाल बालों, त्वचा और शरीर की मालिश के लिए करते हैं, लेकिन इसे खाने में उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
अमेरिका और यूरोप में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को लेकर कड़े नियम हैं। यहां के लोग खाना पकाने के लिए सोयाबीन ऑयल का उपयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। सोयाबीन ऑयल में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं, जो शरीर में कोलेजन को बढ़ावा देते हैं और त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होते हैं।
इरुसिक एसिड एक प्रकार का फैटी एसिड है जो बड़ी मात्रा में सेवन करने पर हृदय और मस्तिष्क के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसे याददाश्त को कमजोर करने और शरीर में अनावश्यक फैट बढ़ाने के लिए जिम्मेदार माना गया है। हालांकि भारत और अन्य देशों में लोग सरसों के तेल का सेवन वर्षों से करते आ रहे हैं, लेकिन इन देशों में इस पर कुछ सीमाएं नहीं हैं, जबकि अमेरिका और यूरोप में इसे स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं माना गया है।
भारत में सरसों का तेल आज भी भोजन का एक मुख्य हिस्सा है। यह न केवल स्वाद में अद्वितीय होता है, बल्कि इसके स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी इसे भारतीय रसोई का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाते हैं। इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण इसे और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बनाते हैं।