कृषि समाचार

विरेंद्र सहु: उत्तरी भारत में बागवानी की मिसाल, बीज रहित फलों की नर्सरी से लाखों की आमदनी

गांव गिगोरानी के किसान ने की इंडो-इजरायल तकनीक का प्रयोग, हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा सम्मानित

सिरसा, हरियाणा – गांव गिगोरानी के किसान विरेंद्र सहु ने उत्तरी भारत में बागवानी के क्षेत्र में एक मिसाल कायम की है। उनकी तीन एकड़ नर्सरी को इंडिया नेशनल हॉर्टिकल्चर बोर्ड (एनएचबी) से मान्यता प्राप्त है। यह नर्सरी अपनी अद्वितीयता और स्टार रैंकिंग के कारण पूरे उत्तर भारत में जानी जाती है। यहां 14 विभिन्न प्रकार की बीज रहित फलों की पौधें तैयार की जाती हैं, जिनमें पीयू1 किन्नू, रेड बेल्ट माल्टा, जाफा माल्टा, कागजी नींबू, मीठा माल्टा, मौसमी, और अमरूद की हिसार सफेदा प्रमुख हैं।

इंडो-इजरायल तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाली नर्सरी

विरेंद्र सहु की नर्सरी में बीज रहित फलों की खेती के लिए अत्याधुनिक इंडो-इजरायल तकनीक का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि नर्सरी की शुरुआत करने का विचार उन्हें कैलिफ़ोर्निया में बीज रहित फलों की बागवानी देखने के बाद आया। उन्होंने यूट्यूब से प्रेरणा लेकर अपनी नर्सरी तैयार की और पूरी प्रक्रिया को इंटरनेट से सीखा।

फॉर्बेट ड्रिप पैटर्न से पौधों को पानी दिया जाता है, जिससे पौधों की गुणवत्ता उच्चतम स्तर पर रहती है। नर्सरी में पौधों को नेट हाउस और पोली बैग में तैयार किया जाता है, जिससे पौधों का विकास संतुलित और नियंत्रित होता है।

पौधेवेरायटीउत्पादन (सालाना)
किन्नूपीयू180,000 पौधे
माल्टारेड बेल्ट, जाफा80,000 पौधे
नींबूकागजी80,000 पौधे
अमरूदहिसार सफेदा80,000 पौधे

बेहतर आमदनी और सम्मान

विरेंद्र सहु बताते हैं कि वर्ष 2017 में उन्होंने अपनी बेटी वर्णिका के नाम से नर्सरी की शुरुआत की थी। वर्तमान में, नर्सरी से प्रति वर्ष 80,000 पौधों का उत्पादन होता है। इसकी वजह से उन्हें 20 एकड़ परंपरागत खेती के बराबर आमदनी होती है। उनकी नर्सरी से न सिर्फ हरियाणा, बल्कि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ तक पौधे जाते हैं।

उनकी मेहनत और नवाचार के चलते, उन्हें चौधरी चरणजीत सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी द्वारा तीन बार सम्मानित किया जा चुका है।

भविष्य की योजना

विरेंद्र सहु भविष्य में अपनी नर्सरी का और विस्तार करना चाहते हैं और अधिक से अधिक किसानों को बीज रहित फलों की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि किसान नए तकनीकी साधनों का उपयोग करें तो उन्हें बेहतर उत्पादन और आय प्राप्त हो सकती है।

उनकी सफलता की कहानी अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुकी है।

विरेंद्र सहु, सिरसा के किसान, ने इंडो-इजरायल तकनीक से उत्तरी भारत में बीज रहित फलों की स्टार रैंकिंग नर्सरी स्थापित की है। प्रति वर्ष 80,000 पौधे तैयार कर वे लाखों की आमदनी कमा रहे हैं।

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