Animal Care in Rain : बरसात के मौसम में बस इन बातों का रखे ध्यान, गांरटी के साथ कभी भी नहीं होंगे पशु बीमार
बरसात के मौसम में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए पशुपालकों के लिए खास सुझाव। सही देखभाल, आहार और टीकाकरण से रखें अपने पशुओं को स्वस्थ।
Animal Care inRain : बरसात के मौसम में बस इन बातों का रखे ध्यान, गांरटी के साथ कभी भी नहीं होंगे पशु बीमार
Animal Care in Rain : खेत तक, 13 सितम्बर, बरसात का मौसम अपने साथ राहत तो लाता है, लेकिन इसके साथ ही कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है, खासकर पशुओं के लिए। अगर आप एक पशुपालक हैं और अपने पशुओं की सेहत को लेकर चिंतित हैं, तो यह लेख आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बारिश के दौरान पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। यहां हम आपको बताएंगे कि किस तरह से आप अपने पशुओं का ख्याल रख सकते हैं और उन्हें बीमार होने से बचा सकते हैं।
1. भीगने से बचाएं
बरसात के मौसम में पशुओं को ज्यादा देर तक भीगने से बचाएं। भीगने से पशुओं को ठंड और त्वचा संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। अगर पशु भीग जाते हैं, तो उन्हें अच्छी तरह से सुखाएं और साफ करें। पशुओं के लिए बारिश से बचाव के लिए छतरी या शेड की व्यवस्था करें।
2. सूखा चारा खिलाएं
बरसात के मौसम में पशुओं को सूखा चारा देना बेहतर होता है। हरा चारा अक्सर बरसात में नमी के कारण सड़ सकता है, जिससे पशुओं के पेट में गड़बड़ियां हो सकती हैं। हरे चारे की मात्रा कम करें और सूखे चारे के साथ मिनरल्स मिलाएं।
3. साफ-सफाई पर ध्यान दें
पशुओं के पैरों और खुरों की सफाई बहुत महत्वपूर्ण है। बरसात के दौरान मिट्टी और गंदगी उनके पंजों में जमा हो जाती है, जो कि संक्रमण का कारण बन सकती है। रोजाना खुरों की सफाई करें और उन्हें सूखा रखें।
4. कृमि नाशक दवा का सेवन
बरसात में पेट में कीड़े होने की समस्या बढ़ जाती है। पशुओं को हर तीन महीने में कृमि नाशक दवा दें ताकि उनके पेट में कीड़े न पनपें। दुधारू पशुओं के लिए खुराहा का टीका भी लगवाएं।
पशुपालकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पशुओं का टीकाकरण समय पर हो। दुधारू पशुओं के लिए खुराहा का टीकाकरण बरसात के मौसम में जरूरी है, ताकि वे बीमारियों से सुरक्षित रहें।
5. टीकाकरण की अहमियत
सभी पशुओं को नियमित रूप से टीकाकरण करवाना सुनिश्चित करें, जिससे वे संक्रामक बीमारियों से बच सकें। यह न केवल पशुओं की सेहत के लिए जरूरी है, बल्कि इससे दूध और मांस उत्पादन में भी वृद्धि होती है।