Wheat Seeds : लो जी आ गई 75 मण का उत्पादन देने वाली गेहूं की नई किस्म, नई उम्मीद के साथ फिर खिलेंगे किसानों के चहरे
Discover the new wheat variety HD-3385, developed by IARI, offering high yields and resistance to major wheat diseases. Learn how this new variety is set to boost wheat production and farmer income.
Wheat Seeds : लो जी आ गई 75 मण का उत्पादन देने वाली गेहूं की नई किस्म, नई उम्मीद के साथ फिर खिलेंगे किसानों के चहरे
उपज बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता से लैस गेहूं की उन्नत किस्म
खेत तक, 11 सितम्बर, भारत में गेहूं की खेती का महत्व किसी से छुपा नहीं है। खरीफ की फसल कटाई के बाद किसान रबी की फसल, विशेष रूप से गेहूं की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। गेहूं की खेती से लाखों किसान अपनी आजीविका कमाते हैं, और इसे उन्नत किस्मों के जरिए और अधिक फायदेमंद बनाया जा सकता है। इस दिशा में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) ने एक नई गेहूं की किस्म, HD-3385, विकसित की है, जो उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण देशभर के किसानों के लिए एक नई उम्मीद बन गई है।
गेहूं की नई किस्म: HD-3385
HD-3385 गेहूं की किस्म को विशेष रूप से उच्च उत्पादन और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को सहन करने के लिए विकसित किया गया है। इस किस्म की औसत उत्पादन क्षमता 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। यह न केवल तापमान वृद्धि के प्रभाव को झेलने में सक्षम है, बल्कि रोगों के प्रति भी काफी हद तक प्रतिरोधक है, जिससे किसानों को कीटनाशकों पर खर्च कम करना पड़ता है।
क्यों है HD-3385 किसानों के लिए लाभकारी?
उच्च उत्पादन क्षमता: पारंपरिक गेहूं की किस्मों की तुलना में, HD-3385 अधिक उपज देती है। इसकी औसत उपज 59.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि यह अधिकतम 73.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन कर सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह किस्म येलो, ब्राउन और ब्लैक रस्ट जैसी बीमारियों के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है, जो कि गेहूं उत्पादन के लिए प्रमुख समस्याएं मानी जाती हैं।
जलवायु सहनशीलता: यह किस्म उच्च तापमान को भी सहन कर सकती है, जिससे इसे जलवायु परिवर्तन के दौरान उगाने में कोई समस्या नहीं होती। इससे किसान गर्मियों के प्रभाव से अपनी फसल को बचा सकते हैं और उपज को सुरक्षित रख सकते हैं।
बीज वितरण और उन्नत तकनीक
HD-3385 को देशभर के किसानों तक पहुंचाने के लिए, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने 70 बीज उत्पादक संस्थाओं के साथ अनुबंध किया है। इन संस्थाओं के माध्यम से किसानों को यह बीज समय पर उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि वे अपनी फसलों की बुवाई सही समय पर कर सकें। इस किस्म की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच माना जाता है, जब तापमान इसके विकास के लिए अनुकूल होता है।
भारत में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 112.92 मिलियन टन तक पहुंच चुका है, जो देश को न केवल आत्मनिर्भर बनाता है, बल्कि विश्व के प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों में भी शामिल करता है। HD-3385 जैसी उन्नत किस्मों के विकास से देश की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।