धान की फसल में नाइट्रोजन का सही इस्तेमाल: कीट और रोग से बचने के लिए अपनाएं यह तरीका
धान की खेती में नाइट्रोजन और अन्य उर्वरकों का सही समय पर और सही तरीके से इस्तेमाल फसल की पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ कीट और रोगों से बचाता है। कृषि विशेषज्ञों की सलाह से करें DAP और जिंक का सही उपयोग।
धान की फसल में नाइट्रोजन का सही इस्तेमाल: कीट और रोग से बचने के लिए अपनाएं यह तरीका
गलत समय पर खाद का इस्तेमाल कर सकता है फसल को नुकसान, सही समय पर DAP और जिंक का करें प्रयोग
खेत तक, 11 सितम्बर, धान की खेती में उर्वरकों का सही इस्तेमाल फसल की गुणवत्ता और पैदावार को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, गलत समय पर या गलत प्रकार की खाद का प्रयोग करने से फसल को कीट और रोगों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, धान की खेती के दौरान किसानों को कुछ खास उर्वरकों के इस्तेमाल में सतर्कता बरतनी चाहिए।
धान की फसल में खाद का महत्व
धान की फसल की अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति आवश्यक होती है। उर्वरक न केवल पौधों के विकास में मदद करते हैं बल्कि धान के दानों को बड़ा और चमकदार बनाने में भी सहायक होते हैं। इसके अलावा, सही उर्वरक पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे फसल बीमारियों से बची रहती है।
कृषि विज्ञान केंद्र, नियामतपुर में तैनात कृषि विशेषज्ञ डॉ. एनपी गुप्ता ने किसानों को धान की फसल में उर्वरकों के सही इस्तेमाल की सलाह दी है।
गलत खाद से हो सकता है नुकसान
डॉ. एनपी गुप्ता के अनुसार, धान की रोपाई के समय किसान एनपीके, डीएपी, पोटाश, और जिंक जैसी खादों का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोपाई के समय नाइट्रोजन का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
धान की फसल में नाइट्रोजन का सही समय
डॉ. गुप्ता ने बताया कि धान की रोपाई के लगभग एक सप्ताह बाद, जब खेत में पर्याप्त नमी हो, तब ही नाइट्रोजन का इस्तेमाल करना चाहिए। नाइट्रोजन को हमेशा सुबह या शाम के समय में देना बेहतर होता है। तेज धूप में नाइट्रोजन देने से यह उड़कर वायुमंडल में चली जाती है, जिससे पौधों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता।
उन्होंने यह भी बताया कि खेत में पानी भरा होने की स्थिति में नाइट्रोजन का छिड़काव नहीं करना चाहिए, क्योंकि पानी में नाइट्रोजन घुलकर पौधों की जड़ों तक नहीं पहुंच पाता और वाष्पित हो जाता है।
नाइट्रोजन के अधिक प्रयोग से हो सकता है नुकसान
अधिक नाइट्रोजन का प्रयोग फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। डॉ. गुप्ता ने चेतावनी दी कि नाइट्रोजन की अधिकता से पौधा नरम हो जाता है, जिससे कीट और रोगों का आक्रमण अधिक होता है। इससे फसल की गुणवत्ता और पैदावार पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
DAP और जिंक का सही इस्तेमाल
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को सलाह दी है कि धान की फसल में डीएपी और जिंक का सही समय पर उपयोग किया जाए, ताकि फसल की पैदावार बेहतर हो सके। उर्वरकों का सही समय और मात्रा में प्रयोग करने से किसान कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।