ग्वार के पौधे मुरझा रहे है या पौधे पीले पड़ रहे, तो किसान भाई निकाले यह समाधान
If guar plants are withering or turning yellow, then farmer brothers should find this solution.
ग्वार के पौधे मुरझा रहे है या पौधे पीले पड़ रहे, तो किसान भाई निकाले यह समाधान
खेत तक, नई दिल्ली, किसान भाईयो फिलहाल ग्वार की खेती को संभाल पाना मुश्किल सा हो गया है। क्योंकि पिछले कुछ दिनो से लगातार हो रही बारिश के कारण नमी के चलते ग्वार की फसल कई रोगों के चपेट में आ गई है। फसल में पीलापन आना, पत्तियों पर धब्बे बनना, और फूल मुरझा जाना जैसी समस्याएं फसल के उत्पादन को प्रभावित करती हैं। ऐसे में सही समय पर कीटनाशक और फफूंदनाशक का उपयोग करके फसल को नष्ट होने से बचाया जा सकता है। किसान भाईयोक आज के लेख तें हम ग्वार की फसल में कीट और रोग प्रबंधन के लिए एक सिंगल स्प्रे की जानकारी देंगे, जिससे किसानों को ग्वार की फसल में अधिक फायदा मिलेगा।
कीट और रोगों की पहचान कैसे करें?
झुलसा रोग: किसान भाईयो झुलसा रोग की पहचान करना बहुत ही आसार और सरल है। इस रोग में पत्तियों पर जलने के धब्बे नजर आते हैं, जिससे फसल का विकास रुक जाता है। और पत्तिया धिरे धिरे नष्ट होकर जमीन गिरने लगती है।
पाउडरी मिल्ड्यू: किसान भाईयो यह रोग ग्वार की खेती का बड़ा दुशमन है। इसकी रोगथाम करना बहुत ही आवश्यक होता ह। यह एक प्रकार का फफूंद रोग है, जिसमें पत्तियों पर सफेद धब्बे नजर आते हैं।
एल्टरनेरिया ब्लाइटः यह भी एक फफूंद रोग है, जो पौधों के बढवार होने में रोकथाम करता है।
बैक्टीरियल रोग: इस रोग के कारण पौधों की पत्तियां पीली होने शुरू हो जाती है जिससे ग्वार की खेती के उत्पादन पर अधिक असर पड़ता है।
इन रोगो से निपटने के क्या है समाधान ?
किसान भाईयो किसान की आर्थिक स्थिति और समय की कमी को ध्यान में रखते हुए, एक सिंगल स्प्रे से ही कीट और रोग नियंत्रण किया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित कीटनाशक और फफूंदनाशक का मिश्रण उपयोग किया जा सकता हैरू
मैन्कोजेब (Mancozeb) और मिथाइल थायोफेनेट: ये दोनों रसायन मिलाकर 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाएं। इससे फसल में झुलसा और फफूंद रोगों से बचाव किया जा सकता है।
स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (Streptomycin): बैक्टीरियल रोगों से बचने के लिए 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन को 1 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है।
सिंगल स्प्रे के फायदे
इस सिंगल स्प्रे का उपयोग करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:
कम खर्च में अधिक मुनाफा: किसानों को बार-बार स्प्रे करने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है।
फसल की गुणवत्ता में सुधार: यह स्प्रे फसल को स्वस्थ रखता है और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है।
सभी प्रकार के कीट और रोगों पर नियंत्रण : यह स्प्रे विभिन्न प्रकार के कीट और रोगों से बचाव करता है, जिससे फसल को कम से कम नुकसान होता है।
ग्वार की फसल
ग्वार की खेती विशेष रूप से राजस्थान में होती है, जहाँ की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी होती है। ग्वार फसल नाइट्रोजन फिक्सेशन करके मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाती है, जिससे अगली रबी की फसलें भी अच्छी होती हैं। इसलिए, ग्वार की खेती केवल आर्थिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि मिट्टी की उर्वरकता के लिए भी महत्वपूर्ण है।