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थ्रेशर मशीन पर काम करते समय किसान इन बातों का रखे विशेष ध्यान, नहीं होगी कभी कोई बड़ी दुर्घटना

थ्रेशर मशीन पर काम करते समय किसान इन बातों का रखे विशेष ध्यान, नहीं होगी कभी कोई बड़ी दुर्घटना

खेत तक, नई दिल्ली, किसान भाईयों आज के दौर में देखा जाए तो खेती करना बेहद आसान और सरल हो गया है। क्योंकि आधुनिक खेती के साथ साथ नई तकनीक और उच्च क्वालिटी की मशीनों ने दस्तक दे दी है। जिससे किसानों का कार्य सरल और आसान हो गया है। वहीं भारत में खेती बड़े स्तर पर की जाती है। जब फसलें पककर हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाती है तो उसे निकालने के लिए थ्रेशर जैसी मशीनों की आवश्यकता होती है।

किसान भाईयो जब इन मशीनों का प्रयोग किया जाता है तो आए दिन हम अखबार व टीवी चैनलों में देखते है कि फसले निकालते समय मजदूर की मौत हो गई या कोई बड़ी दुर्घटना हो गई। इस तरह की समस्या हर उत्पन्न होती है। तो आज हम आपको इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए उपाए बताएंगे जिससे आपको कभी कभी कोई समस्या नही होगी।

किसान भाइयो देश के कई किसान गेहूं की कटाई बढाई के लिए थ्रेशर मशीन का उपयोग करते हैं। थ्रेशिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें बालियों या फलियों से अनाज को अलग किया जाता है। थ्रेशर से यह काम कुशलता से किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही किसानों को सुरक्षा के प्रति जागरूक होना जरूरी है। सही सावधानियां बरतकर न केवल दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है बल्कि मड़ाई की गुणवत्ता भी बेहतर की जा सकती है।

थ्रेशर मशीन
थ्रेशर मशीन विभिन्न भागों से बनी होती है, जिनमें से प्रमुख भाग हैं:

फीडिंग यूनिट: फसल को मशीन में डालने के लिए।
थ्रेशिंग यूनिट: अनाज को भूसे से अलग करने के लिए।
सफाई यूनिट: अनाज को साफ करने के लिए।
अनाज और भूसा अलग करने वाली यूनिट: अनाज और भूसे को अलग करने के लिए।
पावर ट्रांसफर यूनिट: मशीन को शक्ति प्रदान करने के लिए।
इन सभी इकाइयों का सही तरीके से उपयोग सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है ताकि मड़ाई का कार्य कुशलता से हो सके।

थ्रेशर पर काम करते समय बरतें ये सावधानियां
हवा की दिशा के अनुरूप रखें मशीन: थ्रेशर मशीन की दिशा हमेशा बहती हवा की दिशा के अनुरूप होनी चाहिए। इससे धूल और भूसा आसानी से अलग हो जाते हैं और कार्य में सुविधा होती है।

समान रूप से डालें गेहूं के बंडल: थ्रेशर में गेहूं के बंडल समान रूप से डालें। इससे मशीन की कार्य क्षमता बढ़ जाती है और अनाज का नुकसान भी कम होता है।

फसल में न हो कोई विदेशी वस्तु: फसल के साथ थ्रेशर में किसी भी प्रकार की लकड़ी या लोहे के टुकड़े नहीं होने चाहिए। इससे मशीन के हिस्सों को नुकसान पहुंच सकता है।

समय-समय पर सफाई और रखरखाव: थ्रेशर मशीन के छिद्रों की नियमित जांच और सफाई करनी चाहिए। बेयरिंग और अन्य कार्यशील भागों पर ग्रीस या तेल लगाना भी आवश्यक है ताकि मशीन चिकनी और सुचारू रूप से चल सके।

संचालक की सुरक्षा: फसल को मशीन में डालते समय संचालक को अपने हाथ बहुत अंदर तक नहीं डालने चाहिए। यह एक गंभीर दुर्घटना का कारण बन सकता है।

मशीन को आराम देना जरूरी: लगातार 8-10 घंटे तक काम करने के बाद, मशीन को थोड़ी देर के लिए आराम देना चाहिए। इससे मशीन का जीवनकाल बढ़ता है और कार्य कुशलता भी बनी रहती है।

काम खत्म होने पर मशीन की सफाई: मड़ाई का काम खत्म होने के बाद, मशीन को कुछ समय के लिए खाली अवस्था में चलाते रहना चाहिए। इससे अंदर बचे अवशेष साफ हो जाते हैं।

अनाज टूटने पर करें समायोजन: यदि थ्रेशर में अनाज टूट रहा हो, तो सिलेंडर के प्रति मिनट चक्करों की संख्या कम कर दें और अवतल/सिलेंडर के बीच की दूरी बढ़ा दें।

मौसम समाप्ति पर उचित देखभाल: मड़ाई का मौसम खत्म होने पर सभी बेल्ट हटा दें और मशीन को ढके हुए स्थान पर रखें। इससे मशीन की सुरक्षा और दीर्घायु सुनिश्चित होती है।

सिलेंडर के स्पाइक/हथौड़े का रखरखाव: सिलेंडर के स्पाइक या हथौड़ा घिस जाने पर उसे तुरंत बदलना चाहिए। इससे थ्रेशिंग की गुणवत्ता बनी रहती है।

थ्रेशर मशीन के सही उपयोग और सावधानियों का पालन करके किसान दुर्घटनाओं से बच सकते हैं और मड़ाई की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं। यह न केवल उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि मशीन के दीर्घकालिक उपयोग को भी सुनिश्चित करता है।

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